आजीवन कारावास काट कर रिहा हुए 12 बंदी, 14 साल करते रहे पश्चताप, अब शुरू करेंगे नया जीवनआजीवन कारावास काट कर रिहा हुए 12 बंदी, 14 साल करते रहे पश्चताप, अब शुरू करेंगे नया जीवन

आजीवन कारावास काट कर रिहा हुए 12 बंदी, 14 साल करते रहे पश्चताप, अब शुरू करेंगे नया जीवन  

इंदौर

26 जनवरी की सुबह जहां पूरा देश 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा था वहीं इंदौर के केंद्रीय जेल में 14 सालों से आजीवन कारावास की सजा काट रहे कुछ कैदी टकटकी लगाकर कभी मुख्य द्वार देखते तो कभी जेल की चार दीवारी या फिर आसमान को निहारते आखिर आज उनकी रिहाई जो होने वाली थी। इंदौर के नेहरू स्टेडियम में आयोजित गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम से फ्री होकर जेल अधीक्षक दोपहर 12:30 बजे कारागार पहुँचती हैं और आजीवन कारावास की सजा पूरी कर चुके 12 बंदियों की रिहाई की औपचारिक विदाई कार्यक्रम शुरू होता है। बंदियों का फूल की माला से स्वागत किया जाता है और यहाँ जो भी उन्होने मेहनत से कमाया है, उसका वजीफा जेल अधीक्षिका द्वारा उन्हें दिया गया।

ईश्वर के करीब आया, अब जाऊंगा हरिद्वार

 महेश्वर निवासी 36 वर्षीय राजू गेंदालाल हत्या के जुर्म में इंदौर की जेल में बंद थे। राजू बताते हैं कि  14 साल पहले काम के दौरान किसी से बहस हुई और वह गाली गलौच करने लगा,मुझे माँ की गाली बिलकुल सहन नहीं हुई, मैंने उसे मुक्का मार दिया और वो मर गया। तब से ही जेल में बंद था। गुस्से में अपराध कर बैठा। जब यहाँ आया तो अकेलेपन ने जीवन दूभर किया, फिर मैंने अकेलेपन को दूर करने यहाँ 14 साल प्रभु भक्ति में मन लगाया। दिन-रात सिर्फ जाप देता, भगवान का नाम लेता रहता । अपनी व्यथा बताते बताते राजू की आँखों में आँसू आ गए। वे आगे बताते हैं यहाँ ब्रहमचर्य का बहुत अच्छे से पालन हुआ। जिससे जीवन में आत्मिक शांति, सुकून मिला और प्रभु के और अधिक करीब आ गया। अब यहाँ से रिहा होकर प्रभु दर्शन करने हरिद्वार जाऊंगा और मेरी मेहनत के जो 41 हजार रु मुझे यहाँ से मिले हैं उसे मैं अपनी दीदी-जीजाजी को दूंगा क्योंकि उन्होने यहाँ जेल में मुझे बहुत संबल दिया और मेरा ध्यान रखा।  

इसी तरह इंदौर के बाणगंगा निवासी सुनील रामजाने उम्र 39 वर्ष इंदौर के चर्चित बबलू हत्याकांड में जेल में निरुद्ध थे। कम उम्र में लंबा जीवन जेल में काट चुके सुनील अब रिहा होकर बहुत खुश हैं।

जेल अधीक्षिका अलका सोनकर ने बताया कि अब साल में चार बार बंदियों की रिहाई होती है। आज 12 बंदी जो आजीवन कारावास की सजा पूरी कर चुके हैं, उन्हें रिहा कर दिया गया है। ये सभी आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के जुर्म में निरुद्ध थे। इनमें 6 बंदी ऐसे हैं जो 14 साल में कभी भी पैरोल तक पर बाहर नहीं गए हैं। अब वे अपने घर जा रहे हैं। यहाँ उनके स्किल डेवेलपमेंट के कार्य जैसे टेलरिंग, कारपेटिंग, लौहारी, भवन मिस्त्री, भवन सामग्री निर्माण आदि का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है जिससे वे रिहा होने के बाद जीवन जीने के लिए  कुछ काम कर सके। यदि उन्हें भविष्य में रोजगार की कोई समस्या आती है और वे हमारी मदद चाहते हैं तो जेल प्रशासन उनकी हर संभव मदद करेगा।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।