इंदौर की वात्सल्यपुरम संस्था की याचिका पर कोर्ट ने आदेश रखा सुरक्षित

इंदौर

मध्य प्रदेश के इंदौर की हाई कोर्ट खंडपीठ ने इंदौर की वात्सल्यपुरम संस्था की याचिका की सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रख लिया है। दरअसल बीते शुक्रवार को जिला प्रशासन ने संस्था से 21 बच्चों को मुक्त करवा कर उन्हें शासकीय बालिका आश्रय गृह में रखा गया है। जिला प्रशासन ने स्कीम न 74 में संचालित वात्सल्यपुरम संस्था को अवैध रूप से संचालित होना बताकर सील कर दिया था। जिसके बाद संस्था ने कोर्ट का दरबाजा खटखटाया था। इस मामले में संस्था की याचिका पर इंदौर कोर्ट ने बीते रविवार अवकाश के दिन अर्जेंट हियरिंग की थी।

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दरअसल बीती 12 जनवरी 2024 को इंदौर जिला प्रशासन की टीम ने इंदौर के स्कीम 74 में बिना दस्तावेजों के अवैध रूप से चल रही वात्सल्यपुरम बाल आश्रम संस्था पर कार्रवाई कर सील कर दिया था। भोपाल में अवैध रूप से बाल आश्रम से बच्चे गुम होने की घटना के बाद इंदौर कलेक्टर ने महिला बाल विकास विभाग को इंदौर जिले में चल रही संस्थाओं की जांच करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद शुक्रवार को जिला प्रशासन की टीम ने विजय नगर क्षेत्र के स्कीम 74 से 21 बच्चों को मुक्त करवा कर शासकीय संस्था में रख दिया है। मामले में प्रशासन का दावा है कि कार्यवाही की जद में आई संस्था जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (जे जे एक्ट) के नियमों का पालन नहीं कर रही थी। प्रशासन की मानें तो नाबालिग बच्चों को रखने वाली संस्थाओं को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में पंजीयन कराना अनिवार्य है।

संस्था का ये है पक्ष

संस्था के अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने बताया कि प्रशासन का यह कहना कि संस्था जे जे एक्ट के तहत पंजीकृत नहीं है, वे बुनियाद है। यह एक्ट उन संस्थाओं पर प्रभावी होता है जहां अनाथ बच्चों को रखा जाता है। उन्होने बताया कि वात्सल्यपुरम संस्था में केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को ही रखा जाता है। ऐसे में वात्सल्यपुरम संस्था को जे जे एक्ट के तहत अपंजीकृत बता कर बगैर नोटिस दिये अचानक कार्यवाही करना गंभीर लापरवाही है। प्रशासन की इस तरह की एक पक्षीय कार्यवाही से आहत संस्था ने तो ये तक कहा कि ये तो वही बात हो गई कि किसी के भी घर में घुस कर उसके बच्चों को प्रशासन बलपूर्वक अपने कब्जे में ले लेवे। https://newso2.com/?p=1205