कर्मों को क्षय करने का एक मात्र उपाय तपस्या’’-प्रवर्तक विजय मुनि जी महाराज

प्रकाश जैन, इंदौर, 24 जुलाई 2024

विवेक, सदाचार, धर्म के साथ जीवन जीने वाला ही सत्कर्म कर सकता है। ऐसे सत्कर्म कर्म करो कि तीर्थंकर गोत्र का बंध हो जाये। हमारे समाज के श्रेष्ठ वरिष्ठ सुश्रावक तपस्वी रत्न श्री आनन्दीलाल जी लोढ़ा के आज 26 उपवास की तपस्या चल रही है। इस निमित आपने महावीर भवन पर प्रर्वतक श्री के दर्शन प्रवचन का लाभ लिया। आपके तप की अनुमोदना करते हुए प्रवर्तक श्री ने आपके तप का महत्व बताते हुए कहा कि तपस्या से आत्मबल बढ़ता है, आत्मबल के बिना तपस्या संभव नहीं है। तप अन्तर आत्मा से किया जाता है। जीवन में कर्मों को क्षय करने का एक मात्र उपाय तप है । अन्तराय कर्म को तोड़ने का प्रयास करते हैं। वो ही तप कर पाते हैं। व्यक्ति सोचता है भगवान का नाम लेने से ही भगवान प्रसन्न होगें । परन्तु तप आराधना करने से ही भगवान प्रसन्न होते है । अनादि काल से ही ऋषि मुनि सन्त सभी ने तप आराधना से ही जो चाहा वो फल पाया है। उप प्रवर्तक चन्द्रेश मुनि जी महाराज ने प्रवचन में कहा कि अन्तरमन से मंत्र जाप करने से सिध्दि प्राप्त होती है। मंत्र जाप रटते रटते भी मंत्र सिध्द हो जाते है। भक्त बन कर मंत्र जाप करने से भक्ति भवपार कराती है। भक्ति सदैव श्रृध्दा के साथ करना चाहिये, जब भक्ति का फल प्राप्त होता। भक्ति में समय का महत्व नहीं श्रृध्दा का महत्व है। तपस्वी रत्न श्री आन्नदीलाल जी लोढ़ा के 26 उपवास की तपस्या पर श्रावक संघ ट्रस्ट महावीर भवन की ओर से तप की अनुमोदना की गई और आपके तपस्या की सुख साता पूछते हुए सुस्वास्थ्य की मंगल कामना की गई।