भैंस चराने को मजबूर एमपी पुलिस, रोज़ ₹5000 का खर्च !भैंस चराने को मजबूर एमपी पुलिस, रोज़ ₹5000 का खर्च !

भैंस चराने को मजबूर एमपी पुलिस, रोज़ ₹5000 का खर्च !

इंदौर

खाकी वर्दी में मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले की पुलिस कानून और सुरक्षा की ड्यूटी के वजाय भैंसों को चराने मजबूर है। खंडवा जिले का जावर पुलिस थाना तबेले में तब्दील हो गया है। पुलिस का अमला भैंसों की खातिरदारी में लगा हुआ है। भैंसों को चारा, भोजन खिलाने से लेकर उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पुलिस उठा रही है।  यहाँ तक कि पुलिस अपनी जेब से ये खर्चा वहन कर रही है। आप सोच रहे होंगे ऐसा क्यों ?

दरअसल कुछ दिनों पहले वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस ने एक ट्रक पकड़ा जिसमें 17 भैंसे ठूसी हुई थीं, जो कथित बिना परमिट के ट्रांसपोर्ट की जा रही थी। पुलिस के अनुसार एक भैंस की कीमत 8 लाख से अधिक है।

जावर थाना प्रभारी जेपी वर्मा ने बताया चार- पाँच दिन पहले अशोक लीलेंड वाहन में 17 भैंसों को क्रूरतापूर्वक ठूंस कर उनका परिवहन किया जा रहा था। भैंसों को जब्त किया गया। उन्हें थाना परिसर में ही रखा गया है। पशुओं को भूंसा, चारा, पानी खली खिलाया जा रहा है। पूरे दिन और रात में भी जब्त भैंसों की देख रेख की जा रही है। उनकी सुरक्षा में पुलिस कर्मी भी तैनात किए गए हैं। प्रति दिन चार से पाँच हजार का खर्चा आ रहा है। जो हम अपनी जेब से वहन कर रहे हैं। कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। आदेश के बाद ही भैंस मालिक को सुपुर्द किया जाएगा।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।