वात्सल्यपुरम संस्था में कार्यवाही किस रीति-नीति के तहत की ?– इंदौर हाई कोर्ट

कोर्ट ने अवकाश के दिन की अर्जेंट सुनवाई

इंदौर

मध्य प्रदेश के इंदौर की हाई कोर्ट ने आज अवकाश के दिन उस याचिका की सुनवाई की जिसमें शुक्रवार को इंदौर प्रशासन ने विजय नगर स्थित एक संस्था से 21 बच्चों को छुड़ाकर मुराई मोहल्ला स्थित शासकीय बालिका आश्रय गृह भेज दिया था। इसके साथ ही शासन ने स्कीम न 74  स्थित वात्सल्यपुरम बाल संस्था को सील कर दिया था।

वात्सल्यपुरम बाल आश्रम की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने दावा किया कि शासन की यह कार्यवाही अवैधानिक है और हमने याचिका लगाकर सभी 21 बच्चों को अविलंब सौंपे जाने की मांग की है। साथ ही संस्था पर हुई कार्यवाही को शून्य किए जाने की मांग भी की है। आपको बता दें बीते दिनों भोपाल के एक बाल आश्रम से कथित रूप से बच्चे गुम हो जाने की घटना सामने आने के बाद इंदौर प्रशासन सक्रिय हो गया था और माना जा रहा है कि इसी के चलते वात्सल्यपुरम संस्था पर कार्यवाही की गई है।

क्या है मामला ?

दरअसल शुक्रवार को जिला प्रशासन की टीम ने इंदौर के स्कीम 74 में बिना दस्तावेजों के अवैध रूप से चल रही वात्सल्यपुरम बाल आश्रम संस्था पर कार्रवाई कर सील कर दिया था। भोपाल में अवैध रूप से बाल आश्रम से बच्चे गुम होने की घटना के बाद इंदौर कलेक्टर ने महिला बाल विकास विभाग को इंदौर जिले में चल रही संस्थाओं की जांच करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद शुक्रवार को जिला प्रशासन की टीम ने विजय नगर क्षेत्र के स्कीम 74 से 21 बच्चों को मुक्त करवा कर शासकीय संस्था में रख दिया है। मामले में प्रशासन का दावा है कि कार्यवाही की जद में आई संस्था जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (जे जे एक्ट) के नियमों का पालन नहीं कर रही थी। प्रशासन की मानें तो नाबालिग बच्चों को रखने वाली संस्थाओं को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में पंजीयन कराना अनिवार्य है।

वात्सल्यपुरम संस्था की क्या है दलील ?

संस्था के अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने बताया कि प्रशासन का यह कहना कि संस्था जे जे एक्ट के तहत पंजीकृत नहीं है, वे बुनियाद है। यह एक्ट उन संस्थाओं पर प्रभावी होता है जहां अनाथ बच्चों को रखा जाता है। उन्होने बताया कि वात्सल्यपुरम संस्था में केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को ही रखा जाता है। ऐसे में वात्सल्यपुरम संस्था को जे जे एक्ट के तहत अपंजीकृत बता कर बगैर नोटिस दिये अचानक कार्यवाही करना गंभीर लापरवाही है। प्रशासन की इस तरह की एक पक्षीय कार्यवाही से आहत संस्था ने तो ये तक कहा कि ये तो वही बात हो गई कि किसी के भी घर में घुस कर उसके बच्चों को प्रशासन बलपूर्वक अपने कब्जे में ले लेवे। मामले की सुनवाई आगामी मंगलवार- बुधवार को हो सकती है।

इंदौर हाई कोर्ट ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए रविवार अवकाश वाले दिन प्रकरण की सुनवाई की है। मामले में प्रशासन की ओर से पक्ष शासकीय अधिवक्ता अनिकेत नाईक ने रखा।