समय सागर महाराज का कुंडलपुर में भव्य पदारोहण

इंदौर  

सकल जैन समाज के अगले शिरोमणि समय सागर महाराज का आज पदारोहण दिवस है। कुंडलपुर में भव्य आयोजन चल रहा है, जिसमें देश- विदेश से 5 लाख श्रद्धालुओं के आने का दावा है। आचार्य श्री विध्यासगर महाराज के विशाल संघ के सभी साधु-संत- आर्यिकाएं कुंडलपुर में एकत्रित हुई हैं। उल्लेखनीय है आचार्य विध्यासगार के समाधि के बाद जैन समाज में अगले आचार्य के लिए सर्व सम्मति से समय सागर माहाराज का चयन किया गया है। विध्यासगर महाराज ने पहले देह त्याग से पूर्व उन्हें ज़िम्मेदारी देने की घोषणा कर दी थी।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत भी पहुंचे। भागवत ने आचार्य विधयासागर के संग के अपने अनुभव साझा किए। भागवत ने कहा कि आचार्य श्री इंडिया की जगह भारत और हिन्दी पर ज़ोर देते थे। आचार्य विधायसागर ने देश की आर्थिक प्रगति का तरीका मुझे बहुत सरल शब्दों में समझाया था, जिसे आज बड़े बड़े लोग कह रहे हैं।   

नए आचार्य के सिंहासन का भागवत ने किया लोकार्पण

भावी आचार्य समय सागर महाराज के सिंहासन का लोकार्पण संघ प्रमुख मोहन भागवत और मप्र के कैबिनेट मंत्री प्रह्लाद पटेल ने किया। सिंहासन लकड़ी से बना है और ऊपर आचार्य श्री विध्यासागर महाराज की आशीर्वाद देते हुए मूर्ति लकड़ी से उकेरी गई है जो बहुत आकर्षक लग रही है।

मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बी डी शर्मा शाम4:20 बजे कुंडलपुर में कार्यक्रम स्थल पहुंचे और आचार्य श्री का आशीर्वाद लिया। इस बीच व्यस्तता के चलते अनुमति लेकर जाने वाले भागवत ने 5 बजे तक रुकने का अपना कार्यक्रम विस्तारित किया।

मुख्यमंत्री यादव ने कहा –

आचार्य श्री विधयासागर को नेमावर में पहली बार देखा तो लगा साक्षात देवता को देखा। महाराज के आशीर्वाद से हमारी सरकार बनी। सरकार बनते ही हमने कैबिनेट में कानून बना दिया जिसमें  खुले आम मास, मछली हमारे मप्र में तो नहीं बिक सकती। हमने अपने मूल धर्म का पालन किया। सागर में भी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज का नाम आचार्य विध्यासगर के नाम पर रखा साथ ही आयुर्वेद को बढ़ावा मिलेगा। ये समय तो आपको निहारने का है। प्रधानमंत्री को स्मरण करना चाहूँगा कि नई शिक्षा नीति लागू हुई है जिसमें हमारे गौरवशाली इतिहास को जाना जाये। महावीर स्वामी और 24 तीर्थंकरों को पाठ्यक्रम में हिस्सा देकर जोड़ा है। हमारी भावी पीढ़ी को उससे परिचय कराना चाहिए ताकि वे अपनी संस्कृति पर गर्व कर सकें।

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