इंदौर, 14 फरवरी 2025 / INDORE VARTA/ NEWSO2 / 9826055574
मध्य प्रदेश के इंदौर के सांवेर रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र (सेक्टर D, प्लॉट नंबर 1A और 1B) पर चल रही शराब दुकान को 2023-24 में शिफ्ट करने की अनुमति दी गई। इतना ही नहीं इसी भूमि पर 2024-25 के लिए शराब दुकान के संचालन की भी अनुमति दी गई। न्यूजओ2 ने जब मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि स्वयं उद्योग विभाग दिसंबर 2024 में आबकारी विभाग को शराब दुकान हटाने के निर्देश दे चूका है। लेकिन मामले में पूरी जिम्मेदारी शराब ठेकेदार पर ढोलने वाला आबकारी विभाग ने अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है। हमारी खबर के बाद जब इस पुरे मामले में इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा मामला आप मेरे संज्ञान में लाए है, हम इस पुरे मामले में जांच करेंगे। यह भूमि उद्योग विभाग द्वारा औद्योगिक उद्देश्यों के लिए आरक्षित है, लेकिन फिर भी आबकारी विभाग ने लगातार एक वर्ष से यहां शराब दुकान संचालित करने की अनुमति दे दी।
न्यूज़ O2 की रिपोर्ट के बाद प्रशासन हरकत में आया
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हालांकि, आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त मनीष खरे ने इस गलती को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा –
“यह शराब दुकान संचालक की जिम्मेदारी होती है कि वह आपत्ति रहित भूमि उपलब्ध कराए। आबकारी विभाग ने नियमों के तहत ही लाइसेंस जारी किया है।”
आबकारी विभाग के सूत्रों ने माना कि उद्योग विभाग का उन्हें पत्र मिला है। मासूम जायसवाल नामक व्यक्ति ने अवैध रूप से रमेश चंद राय नामक शराब कारोबारी को दुकान किराये पर दी है। इस संबंध में आबकारी विभाग को उद्योग विभाग का पत्र 3 दिसंबर 2024 को मिलने के बाद तत्काल दुकान हटानी थी । सूत्रों ने यह भी दावा किया कि दुकान अब तक नहीं हटाना वरिष्ठ अधिकारियों की मामले में संदिग्ध भूमिका को दर्शाता है।
क्या है पूरा मामला?
- औद्योगिक क्षेत्र में शराब दुकान का संचालन अवैध
- सेक्टर D, प्लॉट 1A और 1B उद्योग विभाग द्वारा औद्योगिक उद्देश्यों के लिए आरक्षित हैं और इन्हें किसी अन्य व्यावसायिक गतिविधि के लिए उपयोग में नहीं लिया जा सकता।
- औद्योगिक नियमों के तहत यहां शराब दुकान खोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
- 2023-24 और 2024-25 के लिए कैसे मिली अनुमति?
- शराब ठेकेदार रमेशचंद्र राय को पहले 2023-24 में दुकान शिफ्ट करने की अनुमति मिली थी।
- फिर 2024-25 के लिए भी लाइसेंस जारी कर दिया गया, जबकि यह भूमि औद्योगिक उपयोग के लिए आरक्षित थी।
- आबकारी विभाग ने औद्योगिक विभाग की अनुमति लिए बिना ही लाइसेंस जारी कर दिया।
- क्या आबकारी विभाग ने नियमों की अनदेखी की?
- शराब दुकान का लाइसेंस जारी करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए था कि भूमि पर कोई आपत्ति न हो।
- क्या आबकारी अधिकारियों ने ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को दरकिनार किया?
- क्या इस गड़बड़ी में कोई बड़ा भ्रष्टाचार छिपा है?
- स्थानीय व्यापारियों और उद्योगपतियों की शिकायत
- स्थानीय उद्योगपतियों और व्यापारियों ने जिला प्रशासन से शिकायत दर्ज कराई है कि औद्योगिक क्षेत्र में शराब दुकान चलने से माहौल खराब हो रहा है।
- एक्टिव सिटिज़न्स ग्रुप ने भी इस मामले की उच्च स्तरीय जांच और दुकान हटाने की मांग की है।
अब आगे क्या होगा?
- कलेक्टर आशीष सिंह ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, जिससे स्पष्ट होगा कि लाइसेंस कैसे जारी हुआ।
- आबकारी विभाग और अन्य अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
- अगर अनियमितता साबित हुई तो शराब दुकान का लाइसेंस रद्द हो सकता है और दोषियों पर कार्रवाई की जा सकती है।
न्यूज़ O2 इस पूरे मामले पर लगातार नजर बनाए रखेगा और आपको हर अपडेट पहुंचाएगा।
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