विकटन.कॉम पर बैन: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला!
तमिल वेब पोर्टल विकटन.कॉम पर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा लगाया गया अचानक और मनमाना प्रतिबंध यह सवाल खड़ा करता है – क्या प्रधानमंत्री की आलोचना करना अब भारत में अपराध बन गया है?
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इस कदम को मीडिया की आज़ादी का गला घोंटने और लोकतंत्र की हत्या करार दिया है।
कार्टून पर बैन: क्या मोदी सरकार इतनी नाजुक है?
विकटन.कॉम पर केवल एक कार्टून प्रकाशित करने की वजह से प्रतिबंध लगाया गया।
क्या मोदी सरकार इतनी असहिष्णु है कि वह एक कार्टून भी बर्दाश्त नहीं कर सकती?
क्या प्रधानमंत्री की छवि इतनी कमजोर है कि एक कार्टून से ध्वस्त हो जाएगी?
अगर एक कार्टून से सरकार की स्थिरता डगमगाने लगे, तो लोकतंत्र पर सवाल उठना लाज़मी है।
राजनीतिक दबाव में लिया गया शर्मनाक फैसला!
सूत्रों के मुताबिक, यह प्रतिबंध एक राजनीतिक दल के राज्य प्रमुख की शिकायत पर लगाया गया।
क्या सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) अब राजनीतिक दलों के इशारों पर नाच रहा है?
क्या MeitY अब सत्ता के तलवे चाटने वाला विभाग बन गया है?
अगर सरकार एक कार्टून से डरती है, तो उसे लोकतंत्र की परिभाषा फिर से समझनी चाहिए।
क्या यह भारतीय राजनीति का इतना घटिया स्तर है कि अब कार्टून पर भी सेंसरशिप लगाई जाएगी?
तानाशाही की नई मिसाल: बिना सुनवाई के सीधे ब्लॉक!
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि विकटन को बिना किसी पूर्व सूचना और बिना सुनवाई के ब्लॉक कर दिया गया।
क्या यह नई तानाशाही का नमूना नहीं है?
क्या भारत में अब आलोचना की कोई जगह नहीं बची?
यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) का खुला उल्लंघन है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
पहले प्रतिबंध, फिर सुनवाई – क्या यह मजाक है?
विकटन को ब्लॉक करने के बाद, IT नियम 2021 के तहत एक अंतर-विभागीय समिति द्वारा सुनवाई का नाटक किया गया।
क्या यह दिखावा नहीं है? पहले सरकार मनमानी करे और फिर कानूनी प्रक्रिया का ढोंग रचे!
क्या यही नए भारत का लोकतंत्र है – पहले गला दबाओ, फिर न्याय का नाटक करो?
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाईं
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहले ही IT नियम 2021 के नियम 9(1) और (3) पर स्टे ऑर्डर दे रखा है, फिर भी सरकार ने इसकी अनदेखी करते हुए विकटन को ब्लॉक कर दिया।
क्या अब अदालतों के आदेश भी मोदी सरकार के लिए कोई मायने नहीं रखते?
क्या यह न्यायपालिका के अधिकारों का अपमान नहीं है?
मौत की धमकियां: क्या अब कलाकार भी सुरक्षित नहीं?
विकटन के कार्टूनिस्ट को सोशल मीडिया पर मौत की धमकियां दी गईं।
क्या यह नया इंडिया है, जहां सरकार के इशारे पर कलाकारों को डराया-धमकाया जाएगा?
क्या सरकार अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को आतंकित करने की साजिश रच रही ह
अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला: क्या भारत में अब विरोध की आवाज दबाई जाएगी?
विकटन.कॉम पर लगाया गया प्रतिबंध केवल एक वेबसाइट का मुद्दा नहीं है।
यह भारत के लोकतंत्र पर हमला है।
यह अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने का प्रयास है।
अगर आज हम चुप रहे, तो कल और भी आवाजें बंद कर दी जाएंगी।
क्या हम एक लोकतंत्र से तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं?
क्या मोदी सरकार में इतनी हिम्मत है कि वह इस तानाशाही फैसले को वापस ले?
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मांग की है कि MeitY को इस असंवैधानिक प्रतिबंध को तुरंत वापस लेना चाहिए और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।
क्या मोदी सरकार इतनी निडर है कि वह आलोचना को झेल सके?
या फिर हर विरोधी आवाज को इसी तरह दबाने की साजिश चलती रहेगी?
अगर आज नहीं बोले, तो कल बोलने का हक भी छिन जाएगा!
यह समय है जागने का, सवाल पूछने का और विरोध करने का।
अगर आज हमने चुप्पी साध ली, तो भारत की लोकतांत्रिक आत्मा हमेशा के लिए मर जाएगी।
यह रहा वेब पोर्टल पर डालने के लिए YouTube लिंक का एक आकर्षक परिचय:
क्या मोदी सरकार को कार्टून से डर लगता है?
देखिए इस विश्लेषणात्मक वीडियो में कि कैसे कार्टून और व्यंग्य ने भारतीय राजनीति में हमेशा से अहम भूमिका निभाई है। क्या आज़ादी के बाद के दौर से लेकर वर्तमान मोदी सरकार तक, सत्ता पर बैठे लोगों को कार्टून से असहजता महसूस होती है?
जानिए सच्चाई इस वीडियो में: क्या मोदी सरकार को कार्टून से डर लगता है?