जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने तीन अलग-अलग मामलों में सख्त रुख अपनाते हुए त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इनमें छिंदवाड़ा के पूर्व एसडीएम पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप, दमोह में 11 सौ क्विंटल अनाज घोटाले की जांच और 17 साल से अपने अधिकार से वंचित कर्मचारी को न्याय दिलाने का मामला शामिल है।
पूर्व एसडीएम पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
छिंदवाड़ा के पूर्व एसडीएम आशाराम मेश्राम पर मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त होने के आरोप लगे हैं। व्यापारी सुखपाल सोनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता सात दिन के भीतर अपनी शिकायत राज्य के मुख्य सचिव को दें। यदि शिकायत पर 15 दिनों में कार्रवाई नहीं होती, तो एसडीएम के खिलाफ आगे की प्रक्रिया चलेगी। वहीं, यदि शिकायतकर्ता अपनी बात साबित नहीं कर पाते, तो उन पर मानहानि का मुकदमा भी हो सकता है।
दमोह में 1100 क्विंटल अनाज घोटाले की जांच के आदेश
दमोह जिले में 2018 में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए 1100 क्विंटल चना, मसूर और सरसों के गायब होने का मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए दमोह जिला प्रशासन को जांच के निर्देश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि इस मामले में याचिकाकर्ता की हिरासत की जरूरत हो, तो पुलिस सात दिन का नोटिस देकर ऐसा कर सकती है।
कर्मचारी को हक दो या हाजिर हो प्रमुख सचिव
छिंदवाड़ा के पीएचई उपसंभाग अमरवाड़ा में पदस्थ कर्मचारी अतरलाल उईके को 17 वर्षों से उसके अधिकार नहीं दिए गए हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने पीएचई विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि वे 10 मार्च तक याचिकाकर्ता के बकाया लाभों का भुगतान करें, अन्यथा 11 मार्च को अगली सुनवाई में स्वयं उपस्थित हों। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सुनवाई पर बिना अधिकार पहुंचे चीफ इंजीनियर को टीए-डीए नहीं दिया जाएगा।
हाईकोर्ट के इन आदेशों से साफ है कि न्यायालय भ्रष्टाचार, प्रशासनिक लापरवाही और कर्मचारी अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में सख्त रुख अपना रहा है।