क्या हैं मोदी-योगी और भागवत के उद्बोधन के मायनें ?

हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना, समंजस्य से देश के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की कामना, और हजार वर्ष के भारत की नींव का प्रतीक राम मंदिर ?

नेहा जैन

कई सदियों के इंतजार के बाद आखिर रामलला की नव निर्माणधीन राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो गई। देश उल्लास में सराबोर है। ऐसे में अयोध्या में राम लला के मंच से तीन प्रमुख हस्तियों के उद्बोधन को गौर करना महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संघ प्रमुख मोहन भागवत, तीनों ने राम नाम की स्थापना का स्पष्ट संकेत दिया लेकिन भागवत ने धर्म की सीख देते हुए कई गंभीर बातें जनता के सामने रखीं। मोदी के भाषण में जहां हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना स्पष्ट परिलक्षित हो रही थी वहीं भागवत ने अपने 12 मिनट के उद्बोधन में कई बार देश के सभी धर्म, मत, संप्रदाय के लोगों को साथ लेकर सामंजस्य से आगे बढ्ने की बात पर ज़ोर डाला। भागवत ने यहाँ राम के चरित्र से प्रेरणा लेकर धर्म के 4 मूल्यों सत्य, करुणा, शुचिता और तपस को आचरण में अपनाकर देश को आगे बढ़ाने की बात कही। भागवत ने कहा सत्य कहता है हर घट में राम हैं। हमें आपसी सामंजस्य से चलना होगा। सब हमारे हैं, इसलिए हम चल पा रहे हैं। भागवत का ये बयान देश में सांप्रदायिकता को हवा ने देकर सभी को साथ लेकर चलने के बारे में स्पष्ट कह रहा है। उन्होने धर्म के दूसरे मूल्य में करुणा और परोपकार की बात कही कि जहां भी दुख और पीड़ा दिखे तो मदद के लिए दौड़ पड़ें बिना ये सोचे कि कौन किस जाति, वर्ग का है ? धर्म के तीसरे मूल्य में भागवत ने शुचिता पर ज़ोर दिया। उन्होने कहा अन्य लोगों की भी इच्छाएं होती हैं। अपनी इच्छाओं को संयमित करें और अनुशासन में रहें, यही देश भक्ति है। धर्म के चतुर्थ मूल्य में भागवत ने कर्म सिद्धान्त का महत्व बताया। भागवत ने कहा 500 साल के संघर्ष के बाद आज यह गौरवशाली क्षण आया है। हजारों लोगों का बलिदान और खून बहाने के बाद यह पल आया है। इसे व्यर्थ नहीं जाने देना है। सबको साथ लेकर चलना है। सभी एक भाषा बोलेंगे। मिलकर समन्वय से चलेंगे तो मंदिर पूरा होते होते यह देश विश्व गुरु बन जाएगा। भागवत के इस बयान में ये आशंका दिख रही है कि उन्हें देश का माहौल बिगड़ने की चिंता हो।

उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 37 मिनट के अपने उद्बोधन में  75 प्रतिशत भाषण शब्दों से खेलते हुए लोगों की भावनाओं को भीतर तक छूने का प्रयास किया। इस दौरान मोदी ने मंदिर निर्माण के कारण  देश में दंगों की आशंका को लेकर विपक्ष को निशाने पर लिया। उन्होने कहा कुछ लोग कहते थे राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। ऐसे लोग भारत की सामरिकता को नहीं जान पाये। यह राम मंदिर आपसी सद्भाव, समन्वय का प्रतीक है। राम आग को नहीं ऊर्जा को जन्म दे रहा है। मोदी ने मंदिर निर्माण के साथ अमिट स्याही से उनके द्वारा एक नया स्वर्णिम काल लिखे जाने पर ज़ोर दिया। प्रधानमंत्री के भाषण की महत्वपूर्ण बात रही कि उन्होने इस क्षण को भारत की परिपक्वता का प्रतीक बताया। उन्होने कहा ये क्षण विजय नहीं विनय का है। हम अन्य राष्ट्रों की तरह इतिहास की गांठ में नहीं उलझे बल्कि गंभीरता और भावुकता से इतिहास की गांठों को हमने खोला है जो यह दर्शाता है कि अतीत से और सुंदर भविष्य होने वाला है।

तो उधर योगी आदित्यनाथ ने मंदिर नियत स्थान पर निर्माण के संकल्प पूर्ण होने के साथ सख्त संदेश दिया कि अब अयोध्या की गलियों में गोलियां नहीं चलेंगी, कर्फ्यू नहीं लगेगा बल्कि दीपोत्सव मनेगा, राम नाम से गलियां गुंजायमान होंगी।