प्रधानमंत्री मोदी की एक दशक की कसौटी !

प्रधानमंत्री मोदी की एक दशक की कसौटी !

नेहा जैन

विश्वगुरु, राष्ट्रवाद और हाल ही में रामराज्य की स्थापना के अनवरत अति प्रचार-प्रसार के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2.0 का कार्यकाल अपने अंतिम दौर में है। पिछले एक दशक में आम जनमानस बहुतायत सरकारों से किसी प्रकार की उम्मीद की आशा भी भूल चला है। ऐसे में न्यूजओ2 ने अंतरिम बजट को लेकर जब लोगों की अपेक्षाएँ, जरूरतें और उम्मीद जाननी चाही तब अधिकांशत: जनमानस मायूस नजर आया। ऐसा लगा कि दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में ने लोकतान्त्रिक जीवन जीना ही छोड़ दिया है। ज्यादातर लोगों के मुंह से यह सुनकर अचरज लगा कि देश में सब दावे, वादे एक मात्र सत्ता हथियाने के इरादे महज रह गए हैं और जैसा कि 1 फरवरी को अंतरिम बजट हम सबके सामने आया तो इस बजट ने साफ कर दिया कि भारतीय जनता पार्टी के नेत्रत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के हाथ फिर चुनाव जीतने का कोई अलादीन का चिराग लग गया है। फेक नेरेटिव, गोदी मीडिया, धर्म की चाशनी और इमोशनल इंटेलिजेंस जैसे हथियारों को भुनाने की तरकीब को सँजोये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कथित रणनीतिकार देश के गृह मंत्री अमित शाह ने देश को बरगलाने की एक बार फिर पूरी तैयारी कर ली है। मसलन न गरीबों को भोजन, न हाथ में सम्मानजनक रोटी मिली न मध्यम वर्ग को महंगाई की मार के तले आयकर में राहत मिली। न 50 फीसदी ग्रोथ में किसान को मजदूरी मिली और न ही उपचार के इंतजार में दम तोड़ते गरीब मरीज को राहत मिली है। डेढ़ सौ करोड़ के इस देश में विविधता में संघर्ष करते कई नागरिक हासिए पर हैं।  लेकिन मोदी का दूसरा कार्यकाल भी महज ब्रेन वाश और आम नागरिक के समक्ष सजा राष्ट्रवाद जैसे सब्जबाग पर केन्द्रित रहा।

प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो के मुताबिक आज प्रस्तुत अंतरिम बजट की ये कुछ गौर करने वाली बातें रहीं।

बजट की क्या रही खास बातें:-

  • प्रति व्‍यक्ति आय करीब 9 वर्षों में दोगुनी होकर 1.97 लाख रुपये हो गई है।
  • भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का आकार बढ़ा है और यह पिछले 9 साल में विश्‍व की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यस्‍था बन गई है।
  • कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन में सदस्‍यों की संख्‍या दोगुनी से अधिक होकर 27 करोड़ तक पहुंच गई है।
  • वर्ष 2022 में यूपीआई के माध्‍यम से 126 लाख करोड़ रुपये के 7,400 करोड़ डिजिटल भुगतान किए गए हैं।
  • स्‍वच्‍छ भारत मिशन के अंतर्गत 11.7 करोड़ घरों में शौचालय बनाए गए हैं।
  • उज्‍ज्‍वला योजना के तहत 9.6 करोड़ एलपीजी कनेक्‍शन दिये गए।
  • 102 करोड़ लोगों को लक्षित करते हुए कोविड रोधी टीकाकरण का आंकड़ा 220 करोड़ से पार।
  • 47.8 करोड़ प्रधानमंत्री जनधन बैंक खाते खोले गए।
  • पीएम सुरक्षा बीमा योजना और पीएम जीवन ज्‍योति योजना के अंतर्गत 44.6 करोड़ लोगों को बीमा कवरेज।
  • पीएम सम्‍मान किसान निधि के तहत 11.4 करोड़ किसानों को 2.2 लाख करोड़ रुपये का नकद हस्‍तांतरण।
  • बजट की सात प्राथमिकताएं ‘सप्‍तऋषि’। इनमें शामिल हैं: समावेशी विकास, अंतिम छोर-अंतिम व्‍यक्ति तक पहुंच, बुनियादी ढांचा और निवेश, निहित क्षमताओं का विस्‍तार, हरित विकास, युवा शक्ति तथा वित्‍तीय क्षेत्र।

अच्छे दिन कतार में खड़े हैं !

वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र सिंह यादव ने कहा, ‘यह अंतरिम बजट आजाद भारत की पृष्ठभूमि और खासकर नरेंद्र मोदी के एक दशक के शासन का आईना है। इस बजट के अक्स में पहली बार किसी केंद्र सरकार ने चुनावी वर्ष में जनसामान्य से मुंह फेर लेने की हिमाकत की है। दरअसल, आम नागरिक के लिए आज बेहद खतरे की घंटी (अलार्मिंग) वाली स्थिति है। महंगाई अपने चरम पर है। बेरोजगारी विकराल रूप ले रही है। चिकित्सा शिक्षा और निजीकरण के फलस्वरूप प्रत्येक वस्तु, सेवाएँ, सुविधाओं की गिरती गुणवत्ता हैरान करने वाली है। ऐसी स्थिति में यह बजट व्यवस्था के इठलाते कुरूप को दर्शाता महज एक अमलीजामा है। आपको याद है, अच्छे दिन कतार में खड़े हैं।‘

बिना बजट आवंटन के स्वास्थ्य सेवाएँ कैसे होंगी मजबूत ?

स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने कहा, ‘वित्त मंत्री द्वारा गरीब, महिला, युवा और किसान पर केन्द्रित बजट बताया परंतु इन सभी के स्वास्थ्य के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। अन्तरिम बजट में 87656.90 करोड़ का आवंटन किया गया है जो कि वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान 86175 करोड़ रुपए से मात्र 1.69% अधिक है। वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की बात करें  तो इस अन्तरिम बजट में 31967 करोड़ का आवंटन किया गया है जो कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के संशोधित बजट से मात्र 1.31% की बढ़ोतरी है, वास्तव में यह बढ़ोतरी नहीं है क्योंकि मुद्रा स्फीति और महंगाई दर समायोजित करें तो यह बढ़ोतरी नकारात्मक होगी। सवाल है बिना बजट आवंटन के स्वास्थ्य सेवाएँ कैसे होंगी मजबूत ?

इज ऑफ डूइंग का ध्यान रखा जाये

एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री मध्यप्रदेश (एआईएमपी) के पदाधिकारी प्रमोद डफरिया ने कहा, ‘यह बजट अच्छा है। हम 5 ट्रिलियन इकोनोमी से 7 ट्रिलियन इकोनोमी बनने की ओर अग्रसर हैं। यह सरकार बखूबी समझती है कि  इंडस्ट्री को मजबूत कैसे बनाना चाहिए। ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस को बढ़ाना देना होगा। कागजी क़ानूनों से बाहर निकलना होगा। कहने को हम ऑनलाइन मोड मेँ काम कर रहे हैं लेकिन ऑनलाइन काम करने के लिए भी सरकारी दफ्तरों के बहुत चक्कर काटने होते होते हैं। पेपर वर्क बहुत होता है। ऑनलाइन मोड को ट्रांसपेरेंसी के साथ बढ़ावा देना होगा। लेबर आधारित इंडस्ट्री को इन्सेंटिव देने चाहिए, जिससे उन्हें सोशल, मॉरल बूस्ट मिलेगा। मोर्टगेज फीस कम कर एक कामन पोर्टल बनाना होगा।

विकास की ओर बढ़े भारत के लिए संतुलित बजट

वरिष्ठ पत्रकार सुधीर गोरे कहते हैं,’ अंतरिम बजट में अच्छी खबर यह है कि किसी के लिए कोई बुरी खबर नहीं है। विकसित भारत के लिए यह एक संतुलित और चुनावी समझदारीभरा अंतरिम बजट है। बीते 10 साल में अर्थव्यवस्था को मिली रफ्तार को कायम रखने के लिए विकास पर ध्यान देने का वादा दोहराया गया है। वित्त मंत्री की मानें तो सब अच्छा चल रहा है और यह सुनिश्चित किया गया है कि सब अच्छा चलता रहे। 2019 के अंतरिम बजट कोई छोड़ कर कभी भी करों में कोई बदलाव नहीं किया गया और मौजूदा वित्त मंत्री ने भी इसी परंपरा को कायम रखा है। डायरेक्ट या इनडायरेक्ट टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं है और सीमा शुल्क भी यथावत रहने से कुछ खास सस्ता-महंगा नहीं होगा। कोई राहत नहीं है, तो कोई झटका भी नहीं है। गरीब, युवा, महिलाओं और किसानों पर चुनाव वर्ष में फोकस जारी रखा गया है। ग्रामीणों के लिए अच्छी खबर है कि नरेगा का आबंटन 50 फीसदी बढ़ाया गया है। राजस्व के मोर्चे पर सरकार ने अनुशासन बरतते हुए वित्त वर्ष 2026 के लिए वित्तीय घाटा 4.5 फीसदी तक नियंत्रित रखने की बात कही गई है, तो ब्याज दरें घटने की संभावना है और इससे बैंकिंग सेक्टर को फायदा मिलेगा। हाउसिंग सेक्टर के लिए भी फायदेमंद है।’

नए भारत का दूरदर्शी बजट, वित्त मंत्री का यह छटा बजट क्रिकेट में सिक्सर के समान

भाजपा विधि प्रकोष्ठ के अधिवक्ता एवं विधि व्याख्याता पंकज वाधवानी में केंद्रीय बजट को आत्मनिर्भर भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने वाला बजट बताया। वाधवानी ने कहा कि यह बजट समाज के प्रत्येक तबके, किसानों, युवाओं, महिलाओं के लिए एक प्रगतिशील बजट है। बजट देश में आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने वाला बजट है, जो नए भारत की नींव रखेगा । ये बजट, एक दूरदर्शी बजट है, जो भारत की अर्थव्यवस्था को बदलने वाला बजट साबित होगा। ये बजट भारत को आत्मनिर्भर बनाने के साथ स्वतंत्रता के 100वें वर्ष के नए भारत की नींव डालेगा।