दौर। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में 2022 में लगभग 54 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन इनमें से केवल 25 लाख से कम लोगों को ही दोषी ठहराया गया। विशेषकर दंगे के मामलों में दोषसिद्धि दर 25%, बलात्कार के मामलों में 27%, अपहरण में 33% और हत्या के मामलों में 44% रही है। इसके विपरीत, एक्साईस, एनडीपीएस और आर्म्स एक्ट जैसे कानूनों के तहत दोषसिद्धि दर क्रमशः 85%, 82% और 65% रही है।
इंदौर के हाई कोर्ट अधिवक्ता और विधि व्याख्याता पंकज वाधवानी द्वारा इस पर की गई रिसर्च के अनुसार, ये आंकड़े देश के दांडिक कानूनों और विशेष अभियोजन मामलों में गिरफ्तारी और दोषसिद्धि दर के बीच बड़े अंतर को दर्शाते हैं। वाधवानी ने इस पर चिंता व्यक्त की है और कानून मंत्रालयों को सुधार के लिए सुझाव भेजे हैं। उनका कहना है कि अभियोजन कानूनों जैसे आबकारी, नारकोटिक्स, और आर्म्स एक्ट के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक प्रभावी व्यवस्था तैयार की जानी चाहिए ताकि निर्दोष व्यक्तियों को असत्य प्रकरण में फंसाया न जा सके।
वाधवानी का कहना है कि इन अभियोजन मामलों में स्वतंत्र गवाहों की कमी के कारण कई बार बेकसूर लोगों को सजा दी जाती है, जिससे उनके जीवन पर गंभीर असर पड़ता है। इसलिए, संविधान द्वारा दिए गए दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के लिए सरकार को उचित कदम उठाने की जरूरत है।