“त्याग धर्म है: दिगंबर जैनाचार्य 108 श्री विशुद्धसागर जी का संदेश”

राजेश जैन, ‘दद्दू’

इंदौर/नादनी 16 सितंबर 2024 (न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126। 

आज “पर्वराज पर्युषण महापर्व” के दौरान आयोजित “आध्यात्मिक श्रावक संयम साधना संस्कार शिविर” में दिगंबर जैनाचार्य 108 श्री विशुद्धसागर जी गुरुदेव ने अपने संबोधन में त्याग धर्म की महानता को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि त्याग केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि सिद्धियों की ओर अग्रसर होने का सोपान है। त्याग शांति और आत्म संयम का प्रतीक है और इससे ही व्यक्ति को आनन्द और सुख प्राप्त होता है।

श्री विशुद्धसागर जी ने कहा, “त्याग की पहचान उच्चता है और यह कुलीन व्यक्तियों की कुल-विद्या है। त्याग अनादि परंपरा का हिस्सा है और इससे ही पूज्यता प्राप्त होती है। संयमपूर्वक किया गया त्याग कर्म मुक्ति का साधन है।” उन्होंने यह भी कहा कि त्याग ही तीर्थंकर, ऋषि, और मुनियों की पूजा का आधार है और क्रोध, मान, माया और लोभ को छोड़ने से ही क्षमा, मार्दव, आर्जव और शौचधर्म प्रकट होते हैं।

मुनिश्री ने आगे कहा कि त्याग के बिना धर्म नहीं चल सकता और दान के बिना त्यागियों की रक्षा संभव नहीं है। उचित समय पर दिया गया दान वट बीज की तरह फलित होता है, और दान से त्यागियों का मोक्षमार्ग प्रशस्त होता है। दान के बिना धर्म की रक्षा नहीं हो सकती और त्याग की देव महिमा की जाती है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि त्याग वस्तु छोड़ने की प्रक्रिया से कहीं अधिक है। यह राग और ममत्व को छोड़ने की क्रिया है। त्याग वही श्रेष्ठ होता है, जो स्व और पर का कल्याण करे और जिसमें पुनः ग्रहण करने की इच्छा न हो। संयमियों को उपयोगी और हितकारी वस्तुएं दान में देना चाहिए। श्री विशुद्धसागर जी ने बताया कि दान, तप, और भक्ति से चमत्कार होते हैं और ज्ञान के उपकरण, औषध, और आहार दान से प्राणियों की रक्षा और शरीर की बलिष्ठता प्राप्त होती है उन्होंने यह भी कहा कि एक जीव की प्राण रक्षा करने से करोड़ों यज्ञों से अधिक पुण्य प्राप्त होता है। इस कार्यक्रम में कई प्रमुख समाजजन भी उपस्थित थे और शिविर का सफल संचालन किया गया।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।