सतीश जैन,इंदौर, 27 सितंबर 2024 (न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126। यदि हमें एक स्वस्थ और संस्कारित समाज का निर्माण करना है, तो चार साल के बच्चे की परवरिश ठीक उसी तरह करनी होगी, जैसे एक कुम्हार कच्चे घड़े को आकार देता है। मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज ने संगम नगर में एक धर्मसभा को संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल भेजने से पहले उन्हें घर में सही संस्कार देना आवश्यक है, ताकि वे स्कूल जाकर सही दिशा में कुछ सीख सकें।
उन्होंने कहा कि समझदार लोग अपने व्यवसायिक स्थानों से घर को दूर रखते हैं ताकि बच्चे जल्दी मायाचारी न सीखें। मुनिवर ने कहा कि हर व्यक्ति को दिन में कम से कम दो घंटे मोबाइल बंद करके अपने परिवार को समय देना चाहिए। अगर कोई माता-पिता यह सोचते हैं कि सिर्फ एक कैडबरी देकर बच्चे को स्कूल भेजने से उनकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है, तो वे गलतफहमी में हैं और उनका बच्चा गलत दिशा में जा सकता है। मुनि श्री विनम्र सागर जी ने कहा कि अच्छा गृहस्थ तैयार करना भी साधु की जिम्मेदारी है। समाज को सही दिशा में ले जाने के लिए हमें कुछ समय देना होगा और इसके लिए कुछ सूत्र दिए:
- घर की पवित्रता मंदिर जैसी होनी चाहिए।
- बच्चों के सामने अपवित्र वचनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- हमेशा सोच-समझकर कदम उठाएं।
- अहिंसा का पालन करें और बच्चों को भी अहिंसा का महत्व सिखाएं।
उन्होंने जैन धर्म के अनुयायियों से रात्रि भोजन का त्याग करने का आह्वान किया। मुनिवर ने कहा कि जब साधु सुबह 10 बजे के बाद भोजन और पानी का त्याग कर देते हैं, तो क्या आप रात 7 बजे के बाद भोजन नहीं छोड़ सकते? जैन अनुयायियों को अनुशासित जीवन जीने का संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि अशुद्ध भोजन की व्यवस्था जैन धर्म में स्वीकार्य नहीं है।
कार्यक्रम के दौरान सर्वतो भद्र जिनालय के शिखर पूंज बनने का सौभाग्य शिल्पी जैन और ईशान-नीतू अजमेरा को प्राप्त हुआ। संगम नगर में बनने वाले संत सदन के लिए अजय जैन ने एक बड़ी राशि दान में दी। इस अवसर पर संगम नगर जैन समाज के प्रमुख सदस्य, मुनि संघ, और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। धर्मसभा का संचालन सतीश जैन ने किया और आभार अजय जैन ने माना।