दयोदय चेरिटेबल ट्रस्ट व विद्या विनम्र चातुर्मास समिति ने आयोजित किया सर्व धर्म सम्मेलन
सभी संप्रदायों के धर्मगुरूओं ने एक ही मंच साझा कर एक ही विषय पर व्यक्त किए अपने उद्गार,
दावा-15 हजार से अधिक लोगों ने दर्ज की अपनी उपस्थिति, 150 देशों में हुआ कार्यक्रम का लाईव कवरेज
आनंद जैन कासलीवाल, इंदौर, 28 सितंबर 2024 (न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126।करुणा, प्रेम, दया, साधना, विश्वास ही मानव जीवन का गहना है जिस इंसान के जीवन में इनका अभाव है वह मानवीयता से परे हैं और पशु के समान होता है। जीवन में अगर हमें शांति पाना है तो हमें अहिंसा का मार्ग अपनाना होगा। जीवन को सुखी बनाने के लिए हमें धर्म में बताई बातों पर अमल करना होगा। दुनिया का कोई भी धर्म हमें हिंसा व अशान्ति का पाठ नहीं पढ़ाता। आज मानव को मानव से जोडऩे का प्रयास करने की आवश्यकता है। उक्त विचार रविवार को दलालबाग में आयोजित अखिल भारतीय सर्व धर्म सम्मेलन के दौरान देशभर से आए सभी संप्रदायों के धर्मगुरूओं ने “विश्व शांति का आधार: अहिंसा, शाकाहार, क्षमा” विषय पर श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
सर्वधर्म सम्मेलन में मुनिश्री विनम्र सागर महाराज ने सभी संप्रदायों के धर्मगुरूओं के आगमन को एक मंच, एक विचार पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इन दिनों सोशल मीडिया पर फैल रही हिंसा को रोकना जरूरी है। सोशल मीडिया हिंसा फैलाने का एक सशक्त माध्यम बनता जा रहा है।
इसके पूर्व सिख समाज से दिलीप राजपाल ने कहा कि धर्म कोई भी गलत नहीं यह उसके मानने वालों द्वारा की जा रही गलतियों या कमियों की वजह से विवाद में आता है।
हरे कृष्णा परमपूज्य महामन महाराज (इस्कान मंदिर, मुंबई) ने कहा कि आज संपूर्ण विश्व में शाकाहार को महत्व दिया जा रहा है और अनेक धर्म के अनुयायी इसका अनुसरण भी कर रहे हैं। सात्विक आहार हमारे गुण व अस्तित्व को बढ़ाता है।
ब्रह्मकुमारी हेमलता दीदी (मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, प्रमुख) ने कहा कि आज का समय विश्व शांति के लिए आवश्यक है। एक देश-दूसरे देश से शस्त्रों की होड़ में लगा है।
भंते धम्मदीप महाथेरो (संत बौद्ध धर्म, अधिष्ठाता बौद्धमठ नागपुर) ने कहा कि धर्म की एकता, संतो की वाणी का श्रवण करना, तप करना, धर्म करना ही सुख है। मानव द्वारा मानव के लिए सुख के पल निर्मित करना ही मानवता हैं।
मुकेश नायक (मानस मर्मज्ञ एवं पूर्व केबिनेट मंत्री) ने कहा कि हमारे संपूर्ण जीवन दर्शन में कोई ऐसी खामी प्रवेश कर गई हैं जिसे हमे तलाश कर दूर करना होगा तभी हम शांति और सुख का आनंद ले सकेंगे।
श्री क्षेत्र वाल्मिकी धाम पीठाधिश्वर राष्ट्रीय संत बालयोग उमेशनाथ महाराज ( राज्यसभा सांसद) ने कहा कि सनातन संस्कृति में कभी हिंसा का स्थान नहीं था। आज विश्व में शांति का अभाव महसूस किया जा रहा है। हम सभी को अब विश्व शांति की स्थापना के लिए तीव्र प्रयास करना होंगे।
सम्मेलन में मुनिश्री, आचार्यश्री, ब्रह्मकुमारी बहनें, संत-महंत, महात्माओं के साथ ही महामंडलेश्वर भी मचासीन थे। कार्यक्रम में श्वेताम्बर समाज, दिगंबर समाज, बौद्ध समाज, सिख समाज सहित के प्रतिनिधि मंडल व पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
सम्मेलन की शुरूआत रेवतीरेंज स्थित प्रतिभा स्थली की 40 कन्याओं ने अहिंसा और शाकाहार विषय पर मंगलाचरण की प्रस्तुति के साथ की साथ ही विश्व में शांति बनी रहे इसका भी नृत्य के माध्यम से संदेश दिया। सम्मेलन में दिगम्बर, श्वेताम्बर, वैश्य, सिख, ब्रह्मकुमारी दीदी व इस्कॉन मंदिर सहित सभी संप्रदायों के धर्मगुरूओं ने अहिंसा, शाकाहार, क्षमा, विश्व शांति का आधार विषय पर एक ही मंच साझा कर अपने उद्गार व्यक्त किए।
सम्मेलन में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली व उत्तर प्रदेश के भक्त व श्रद्धालु शामिल हुए थे। सम्मेलन में दयोदय चेरिटेबल ट्रस्ट, दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप जीनियस, दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप इन्दौर नगर एवं दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप डायमंड के पदाधिकारियों का भी विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन आनंद कासलीवाल व सचिन जैन ने किया एवं आभार सतीश डबडेरा ने माना।