ईपीएफ कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए एसोसिएशन के सदस्य

इंदौर,27 नवंबर 2024 (न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: देशभर में सामाजिक सुरक्षा को लेकर बनाई गई पेंशन योजनाओं का सही लाभ पेंशनभोगियों को नहीं मिल रहा है। मध्य प्रदेश को-ओपरेटिव बैंक इम्प्लोयीज फेडरेशन के महासचिव जी.आर. निमगांवकर ने बताया कि सरकार द्वारा श्रमिकों के लिए बनाई गई पेंशन योजनाओं का उद्देश्य भटक गया है। सरकारी अधिकारी और भविष्य निधि कार्यालय के अधिकारी पेंशन में बढ़ोतरी करवा रहे हैं, लेकिन 1971 से जिन श्रमिकों का योगदान रहा है, उन्हें आज भी मात्र एक हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है। यह स्थिति अन्यायपूर्ण है और इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है। इन्हीं मांगों को लेकर मंगलवार को फेडरेशन के सदस्यों ने ईपीएफ कार्यालय और गांधी हॉल पर प्रदर्शन किया। आठ ही भारत सरकार के श्रम मंत्री और वित्त मंत्री को संभाग आयुक्त और श्रम आयुक्त के माध्यम से ज्ञापन भी अग्रेषित किया है ।

फेडरेशन के अध्यक्ष एम के शुक्ला और कोषाध्यक्ष योगेंद्र महावर के अनुसार एसोसिएशन ने पेंशन प्रणाली में सुधार हेतु निम्नलिखित प्रमुख मांगे रखी हैं:

1995 पेंशन योजना में सुधार: पारिवारिक पेंशन योजना के तहत पेंशनभोगियों की पेंशन सेवा अवधि को मान्य कर न्यूनतम पेंशन 10,000 रुपये प्रतिमाह की जाए। इसके साथ ही 2013 से लागू कोशियारी कमेटी की सिफारिशों को प्रभावी बनाया जाए।

समान पेंशन प्रणाली: सरकारी, अर्द्धसरकारी, निजी, ट्रस्ट और संगठित क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों तथा सांसदों और विधायकों को मिलने वाली पेंशन में समानता लाई जाए।

परिवार को शत-प्रतिशत पेंशन: दिवंगत पेंशनभोगियों के परिवार को भी शत-प्रतिशत पेंशन का लाभ दिया जाए।

दोहरी पेंशन बंद हो: जो कर्मचारी एक से अधिक विभागों में सेवाएं देते हैं, उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद तक पेंशन का लाभ नहीं दिया जाए।

बढ़ती उम्र के साथ पेंशन में वृद्धि: पेंशनभोगियों को 75 वर्ष की आयु पर पेंशन में 20% वृद्धि मिले। उनके लिए निःशुल्क चिकित्सा, यात्रा, और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।

एसोसिएशन ने सरकार से यह भी मांग की कि श्रमिकों के भविष्य निधि में अन्क्लेम्ड राशि का उपयोग श्रमिक कल्याण के लिए किया जाए। उन्होंने कहा कि संगठित क्षेत्र के हर श्रमिक को बिना अंशदान के न्यूनतम पेंशन दी जा सकती है, क्योंकि यह राशि श्रमिकों का ही पैसा है।

उन्होंने सांसदों, विधायकों और उच्च पेंशनभोगियों को मिलने वाली भारी पेंशन की तुलना में श्रमिकों को मिलने वाली 1000 रुपये की न्यूनतम पेंशन को असमानता और अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि यह सामाजिक सुरक्षा का मजाक है और इसे तुरंत सुधारने की आवश्यकता है। एसोसिएशन ने सरकार से इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर तत्काल आवश्यक कदम उठाने की अपील की है।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है। 

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