कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इंदौर में भाजपा पर जमकर निशाना साधा
इंदौर, 23 दिसंबर 2024,(न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126:कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आज इंदौर में प्रेस वार्ता आयोजित कर भाजपा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर तीखा हमला किया। सुश्री श्रीनेत ने अमित शाह से बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के अपमान के लिए माफी और उनके इस्तीफे की मांग की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे अमित शाह के बचाव में ट्वीट पर ट्वीट कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कर रहे।
बांग्लादेश और पड़ोसी देशों पर कूटनीति की विफलता
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के सवाल पर सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “भारत की कूटनीति पूरी तरह विफल हो चुकी है। हमारी ‘पड़ोसी पहले’ नीति खत्म हो चुकी है। श्रीलंका, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश – सभी से हमारे संबंध बिगड़ गए हैं। चीन और पाकिस्तान से रिश्ते पहले से ही खराब हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं और ईसाइयों पर 2200 हमले हुए हैं, लेकिन मोदी सरकार इसे उनका आंतरिक मामला बताकर पल्ला झाड़ रही है। इंदिरा गांधी से सीखिए, मुंह खोलकर चीन का नाम लीजिए और बांग्लादेश को सबक सिखाइए।”
फिलिस्तीन पर बोली सुप्रिया
फिलिस्तीन और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक मुद्दे पर प्रियंका गांधी की सक्रियता पर सवालों का जवाब देते हुए सुश्री श्रीनेत ने कहा, “मोदी सरकार को अपनी ही नीतियों की जानकारी नहीं है। भारत फिलिस्तीन को दवाएं और मदद भेजता है, और अब भाजपा इसे राजनीतिक रंग दे रही है।”
महंगाई पर तंज
सुश्री श्रीनेत ने महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “आटा, दही, दवाई, पढ़ाई सब पर टैक्स है। अब तो पुरानी गाड़ियों और पॉपकॉर्न पर भी 18% जीएसटी लग गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की नीतियां मिडल क्लास की कमर तोड़ रही हैं। महंगाई से जनता त्राहिमाम कर रही है। ऐसा लगता है कि ये सांस लेने पर भी जीएसटी लगा देंगी।”
राहुल गांधी की नागरिकता पर जवाब
राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता के सवालों पर सुश्री श्रीनेत ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “राहुल गांधी पांच बार के चुने हुए सांसद हैं। भारतीय राजनीति में चुनाव लड़ने की पहली शर्त भारतीय नागरिकता है। भाजपा बार-बार ऐसे मुद्दे उठाकर अपनी लोकतंत्र-विरोधी मंशा जाहिर करती है। भाजपा इस तरह के बेवकूफी भरे मुद्दे कहाँ से लाती है? कोर्ट के पास ऐसे मामलों को सुनने का समय नहीं है। अदालत को ऐसे मामलों को खारिज कर देना चाहिए।”