निगम आयुक्त वृक्ष अधिकारी बन खुद को पेड़ काटने की अनुमति नहीं दे सकता
एमओजी लाइन और मल्हार आश्रम में पेड़ कटने का है मामला
इंदौर, 10 जनवरी 2025,(न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो हफ्ते के भीतर ‘वृक्ष अधिकारी’ (TREE OFFICER) नियुक्त करने और चार हफ्ते के अंदर रिट याचिका का जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस गजेंद्र सिंह की युगल पीठ ने मंगलवार, 7 जनवरी 2025 को को यह आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद हो सकती है।
यह फैसला डॉ. अमन शर्मा बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिकाकर्ता ने मध्य प्रदेश वृक्षों का परिरक्षण (नगरीय क्षेत्र) अधिनियम, 2001 की धारा 4 और 6 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। साथ ही सूचना क्रमांक F-30-4-X-3-2001, दिनांक 02/01/2002 को भी चुनौती दी थी जिसमें नगर निगम आयुक्त को ‘वृक्ष अधिकारी’ के रूप में नियुक्त किया गया है।
क्या कहती हैं धारा 4 और 6?
धारा 4: राज्य सरकार किसी गजेटेड वन अधिकारी या नगर निगम आयुक्त/मुख्य नगरपालिका अधिकारी को ‘वृक्ष अधिकारी’ नियुक्त कर सकती है।
धारा 6: निगम आयुक्त स्वयं ‘वृक्ष अधिकारी’ बनकर वृक्षों को काटने की अनुमति दे सकता है।
क्या है मामला?
इंदौर के मल्हार आश्रम और एमओजी लाइन्स में विकास कार्यों के लिए नगर निगम ने पुराने वृक्षों को काटने की अनुमति दी थी। यह अनुमति निगम आयुक्त ने ‘वृक्ष अधिकारी’ के रूप में दी। याचिकाकर्ता का कहना है कि नगर निगम आयुक्त, जो इन विकास कार्यों को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं, स्वयं को वृक्ष काटने की अनुमति नहीं दे सकते। यह कार्य केवल गजेटेड वन अधिकारी को सौंपा जाना चाहिए।
न्यायालय का आदेश:
18 दिसंबर 2024 को हुई सुनवाई में जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की युगल पीठ ने स्पष्ट किया कि,
“नगर निगम आयुक्त को ‘वृक्ष अधिकारी’ के रूप में कार्य करते हुए स्वयं को वृक्ष काटने की अनुमति देने का अधिकार नहीं है। राज्य सरकार तत्काल एक गजेटेड वन अधिकारी को ‘वृक्ष अधिकारी’ नियुक्त करे। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, मल्हार आश्रम और एमओजी लाइन्स परियोजनाओं के तहत किसी भी वृक्ष को काटने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
न्यायालय ने यह भी कहा कि इंदौर नगर निगम आयुक्त को वृक्ष काटने की अनुमति के लिए नियुक्त ‘वृक्ष अधिकारी’ के समक्ष आवेदन करना होगा। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद हो सकती है।