डॉ संध्या जैन की याचिका खारिज

याची के पति और पूर्व प्राचार्य डॉ देशराज जैन पर गंभीर अनियमितताओं के आरोप

इंदौर, 23 जनवरी 2025,(न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: मध्य प्रदेश के इंदौर के शासकीय ऑटोनोमस डेंटल कॉलेज Government autonomous dental college में प्राचार्य पद की चेयर रेस पर आखिर 15 दिन बाद निर्णय आ गया है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने राज्य शासन के 8 जनवरी 2025 को जारी आदेश को सही करार दिया है, जिसके मुताबिक डेंटल कॉलेज की प्रहारी प्राचार्य डॉ अल्का गुप्ता ही रहेंगी। पूर्व प्रभारी प्राचार्य और याचिकाकर्ता डॉ संध्या जैन की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है।

15 दिन से कुर्सी पर मची थी खींचतान, यह है मामला

याचिकाकर्ता डॉ संध्या जैन ने राज्य शासन के 8 जनवरी 2025 को जारी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और कहा था कि राज्य शासन द्वारा नियुक्त प्रभारी प्राचार्य डॉ अल्का गुप्ता उनसे  कनिष्ठ हैं। जबकि याची सितंबर 2023 से इस महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं लेकिन उन्हें बिना कोई कारण बताए और बिना किसी स्पष्टीकरण के, इस पद का प्रभार एक संक्षिप्त आदेश से डॉ अल्का गुप्ता को दिया गया है।बीती 10 जनवरी को हाई कोर्ट ने आगामी सुनवाई तक यथास्थिति रखने के आदेश जारी किए थे। तब से ही बीते 15 दिन से प्राचार्य की कुर्सी पर खींचतान चल रही थी। और दोनों ही प्रोफेसर्स अपने अपने कक्ष से अपने अधीनस्थों को आदेश दे रहे थे।

क्या हुआ हाई कोर्ट में ?

याची का दावा

याचिकाकर्ता डॉ संध्या जैन के अधिवक्ता ने अदालत में दावा किया कि डॉ अल्का गुप्ता को प्रभार सौंपना अवैध है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। इसके समर्थन में याचिकाकर्ता डॉ जैन  ने 18.08.2015 और 22.07.2004 के परिपत्रों का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि किसी कर्मचारी को प्रभार नहीं दिया जाना चाहिए, जिसके विरुद्ध लोकायुक्त, आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) या किसी सतर्कता विभाग द्वारा जांच लंबित हो।

राज्य का पक्ष

तो उधर राज्य के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता डॉ संध्या जैन को महाविद्यालय के प्राचार्य के पद का प्रभार प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है और विवादित आदेश प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर पारित किया गया है। डॉ संध्या जैन के पति और पूर्व प्राचार्य डॉ देशराज जैन के खिलाफ पद पर रहते हुए वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं। उनके खिलाफ जांच चल रही है, ऐसे में डॉ संध्या जैन प्राचार्य का प्रभार संभाले हुए शासन को सहयोग नहीं कर रही हैं और आरोपों को छुपा रही हैं। इसके अतिरिक्त, महाविद्यालय की उपेक्षा और प्रशासनिक विफलताओं के कारण राज्य को गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा। जिसमें डॉ संध्या जैन के प्रभारी प्राचार्य के कार्यकाल में उन पर महाविद्यालय में स्वच्छता मानकों और बायोमेडिकल वेस्ट के निपटान की व्यवस्था में कमी, नई एथिकल समिति का गठन नहीं होना, जबकि इसकी पंजीकरण अवधि समाप्त हो चुकी थी।एमडीएस सीटों की मान्यता समाप्त होने की स्थिति में सुधार नहीं किया, जैसे आरोप हैं।

डॉ देशराज जैन संभाग आयुक्त की जांच में दोषी

शासन की तरफ से कोर्ट में पूर्व प्राचार्य डॉ. देशराज जैन के खिलाफ वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं । आरोपों में कहा गया कि डॉ देश राज जैन ने मध्यप्रदेश राज्य दंत परिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते समय बिना राज्य सरकार की अनुमति के अधिकार का गलत प्रयोग किया। आयुक्त, इंदौर संभाग द्वारा प्रारंभिक जांच में डॉ देशराज को दोषी पाया गया। 09.03.2024 की जांच रिपोर्ट में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई। ऐसे में डॉ संध्या जैन जो उनकी पत्नी भी हैं, के प्रभारी प्राचार्य होने पर जांच प्रभावित हो रही है।

कोर्ट का आदेश

इंदौर उच्च न्यायालय की एकल पीठ के जस्टिस विजय कुमार शुक्ला ने 21 जनवरी 2025 को पारित अपने आदेश में कहा कि  याचिकाकर्ता डॉ संध्या जैन के पास प्राचार्य पद पर स्थायी दावा करने का अधिकार नहीं है। डॉ अल्का गुप्ता का प्रभार सौंपने का आदेश वैध और प्रशासनिक आवश्यकता के अनुसार है। याचिकाकर्ता डॉ जैन की आशंका कि डॉ गुप्ता उनसे कनिष्ठ होते हुए उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) लिखेंगे, अनुचित है। डॉ गुप्ता, डॉ जैन की एसीआर नहीं लिखेंगी।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है। 

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