जितेंद्र सिंह यादव

ऐसे ही नहीं कहा जाता कि मध्यप्रदेश अजब-गजब है। आज आपको इसकी एक बानगी बताते है। मध्य प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास और औद्योगिक विकास नारे के शोर तले तमाम नियमों को कानूनों को धत्ता बताकर फलफूल रहे शराब विक्रेताओं की पौ-बारह हो रही है। इंदौर जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने मार्च 2024 में शराब ठेकेदार रमेश चंद राय को उद्योगों के लिए आरक्षित भूमि पर शराब दुकान शिफ्ट करने की अनुमति दे दी। यह अनुमति कलेक्टर ने आबकारी सहायक आयुक्त मनीष खरे की अनुशंसा पर दी गई है। जबकि इस तरह उद्योग विभाग की जमीन पर शराब दुकान शिफ्ट करने का आदेश देना विधि के खिलाफ है। मामले में एक तथ्य यह भी है कि 2023-24 में पहले तो दुकान शिफ्ट करने की अनुमति दी गई। इसके बाद 2024-25 में भी इसी जमीन पर दुकान संचालित होने दी जा रही है। न्यूज़ओ2 ने मामले में जिम्मेदारों से सवालों पूछे हैं, खबर लिखे जाने तक उत्तर नहीं मिल सका है ! जवाब मिलते ही हम मामले में इंदौर जिला कलेक्टर आशीष सिंह, सहायक आबकारी आयुक्त मनीष खरे, इंदौर जिला उद्योग और व्यापार केंद्र के महाप्रबंधक और स्थानीय बाणगंगा पुलिस, नगर निगम, दमकल दल और स्थानीय जन्रपतिनधियों के पक्ष से आपको अवगत कराएंगे। जानिए क्या है पूरा मामला….! 

मध्यप्रदेश सरकार का उद्योग और रोजगार को बढ़ावा देने का दावा उस वक्त सवालों के घेरे में आ जाता है, जब प्रशासन औद्योगिक क्षेत्र में शराब दुकान खोलने की अनुमति देता है, जबकि यह स्पष्ट रूप से नियमों और अधिनियमों का उल्लंघन है। इस मामले में इंदौर के सांवेर रोड, सेक्टर डी में शराब दुकान का स्थानांतरण औद्योगिक क्षेत्र की आरक्षित भूमि पर किया गया, जो म.प्र. एमएसएमई के औद्योगिक भूमि आवंटन एवं प्रबंधन नियम, 2021 और आबकारी अधिनियम, 1915 के खिलाफ है।   

नियमों की अनदेखी: 

क्या शराब माफिया को फायदा पहुंचाया जा रहा है?

मध्यप्रदेश के आबकारी अधिनियम, 1915 के तहत औद्योगिक क्षेत्र में शराब की दुकान खोलने की अनुमति नहीं है। डीआईसी ने अपने पत्र में यह स्पष्ट किया था कि यह भूमि केवल उद्योगों के लिए आरक्षित है, यहां शराब की दुकान नहीं खोली जा सकती। फिर भी प्रशासन ने नियमों को दरकिनार कर शराब दुकान शिफ्ट करने की अनुमति क्यों दी? क्या इस फैसले का उद्देश्य शराब माफिया को फायदा पहुंचाना था?

न्यायिक जांच की आवश्यकता: क्या प्रशासन मूक दर्शक है?

नता है कि वे तत्काल कार्रवाई करें। यदि कोई समस्या है, तो क्या प्रशासन ने इसे नजरअंदाज किया है? क्या इसका मतलब यह है कि प्रशासन शराब के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए तैयार है, और औद्योगिक क्षेत्र की भूमि को भी शराब माफिया के हवाले कर दिया गया है?

सरकार का दोहरा रवैया: शराब या उद्योग?

एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नए उद्योगों को जमीन देने और रोजगार के अवसर बढ़ाने की बात करती है, लेकिन दूसरी तरफ औद्योगिक क्षेत्र में शराब दुकान खोलने की अनुमति देकर अपने उधारी और मुनाफे के उद्देश्य को आगे बढ़ाती है।

    • जब औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों और उद्योगपतियों की समस्याओं को नज़रअंदाज किया जाता है, तब यह सवाल उठता है कि क्या सरकार की प्राथमिकता शराब के कारोबार को बढ़ावा देना है या फिर औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार सृजन को?

सरकार को जवाब देना होगा

मध्यप्रदेश सरकार को स्पष्ट करना होगा कि उसकी प्राथमिकता क्या है – क्या वह औद्योगिक विकास और रोजगार को प्राथमिकता देती है या फिर औद्योगिक भूमि पर शराब दुकानें खोलकर शराब के कारोबार को बढ़ावा देना चाहती है? अगर सरकार वास्तव में उद्योगों को बढ़ावा देना चाहती है, तो उसे शराब दुकान खोलने की अनुमति को वापस लेना चाहिए और इस मामले की पूरी तरह से निष्पक्ष जांच करानी चाहिए

इस पूरे मामले में शराब दुकान की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ गंभीर सवाल खड़े होते हैं। सरकार और प्रशासन को यह जवाब देना होगा कि वे किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, और क्या वे जनहित और न्याय के पक्ष में काम कर रहे हैं।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है। 

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