दसलक्षण पर्व का आज चौथा दिन: उत्तम शौच धर्म:

इंदौर/नादनी 11 सितंबर 2024 (न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126। महाराष्ट्र के नादनी में विराजित आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने पर्वराज पर्युषण महापर्व के अवसर पर आयोजित “श्रावक संस्कार संयम शिविर” में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि लोभ सभी पापों का मूल कारण है। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने जानकारी देते हुए बताया कि गुरुदेव विशुद्ध सागर ने अपने प्रवचन में कहा कि लोभ खतरनाक और अनर्थकारी होता है। यह सर्वनाश का कारण बनता है और व्यक्ति को पाप की ओर प्रेरित करता है। लोभ ही हिंसा, मान, मायाचारी, झूठ, चोरी की ओर ले जाता है।

गुरुदेव ने कहा कि स्वच्छता, शुचिता, पवित्रता, और निर्मलता को शौच धर्म कहा जाता है। आत्मा को मलिन करने वाले कषाय परिणामों से दूर रहना ही शुचिता है। परिग्रह, कषाय और चाहतें ही व्यक्ति की शुद्धि को कम करती हैं और उसे कष्ट देती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कामनाएँ और इच्छाएँ विनाशकारी होती हैं और इनसे बचने में ही आत्मिक शांति है।

गुरुदेव ने कहा कि सबसे मूल्यवान वस्तु भाव-विशुद्धि है, जो प्रभु भक्ति और गुरु सेवा से प्राप्त होती है। लाखों स्वर्ण मुद्राएँ खर्च करके भी ऐसे उच्च परिणाम प्राप्त करना कठिन है। कषाय का एक कण भी शांति को भंग कर सकता है। इसलिए कषाय से बचकर शुचिता और पुण्य की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि लोभ और कषाय से कोई वस्तु प्राप्त नहीं होती, जो कुछ भी प्राप्त होता है वह पुण्य से ही मिलता है, और पुण्य का आधार दया, करुणा, तप, गुरु सेवा और प्रभु भक्ति है। गुरुदेव ने अंत में श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे लोभ को त्यागकर पुण्य के मार्ग पर चलें और शौच धर्म को अपने जीवन में अपनाएँ।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *