इंदौर। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से देश के 32 करोड़ लोगों का भविष्य जुड़ा है। जब देश में लोग शिक्षा के आधार पर वोट देंगे, तभी शिक्षा व्यवस्था में वास्तविक बदलाव आएगा। वह स्टेटस क्लब म.प्र. द्वारा आयोजित भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के दूसरे दिन “एआई और शिक्षा” विषय पर बोल रहे थे।
स्कूलों की हकीकत और एआई की चुनौती
सिसोदिया ने दावा किया कि देश के 48% स्कूलों में आज भी बिजली नहीं है, जबकि 42% स्कूलों में बच्चे फर्श पर बैठते हैं। केवल 44% स्कूलों में ही कंप्यूटर और 58% में इंटरनेट है। ऐसे माहौल में एआई आधारित शिक्षा एक बड़ी चुनौती बन गई है।
शिक्षा का बदलता स्वरूप
पूर्व उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा कि दक्षिण कोरिया, फिनलैंड और चीन जैसे देश अपने स्कूल पाठ्यक्रम को एआई के अनुसार ढाल चुके हैं। भारत में अभी 12वीं कक्षा में कंप्यूटर शिक्षा सिर्फ टाइपिंग तक सीमित है। बच्चों को जानकारी दी जाती है, लेकिन उनका मानसिक विकास नहीं किया जाता।
सरकारी नौकरियों का सच
सिसोदिया ने संसद में दिए गए आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले 10 सालों में 23 करोड़ लोगों ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया, जिनमें से केवल 7 लाख को नौकरी मिली। यह दिखाता है कि शिक्षा प्रणाली रोजगार सृजन में विफल हो रही है।
शिक्षा में एआई का सकारात्मक उपयोग
एसजीएसआईटीएस के प्रोफेसर सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि एआई हर समस्या का हल खोज रहा है। शिक्षकों को पारंपरिक पढ़ाने के तरीकों में बदलाव लाना होगा। अन्य विशेषज्ञों ने कहा कि शिक्षा में एआई को शामिल कर बच्चों में चरित्र निर्माण, टीमवर्क और रचनात्मकता को बढ़ावा देना जरूरी है। साथ ही यह भी सिखाना होगा कि तकनीक का सही उपयोग क्या है और उसके नुकसान क्या हो सकते हैं।