इंदौर, 05 जनवरी 2025,(न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: ओंकारेश्वर, नर्मदा किनारे स्थित मार्कण्डेय आश्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने भारत माता पूजन का विधिवत आयोजन किया। कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की अखिल भारतीय बैठक के समापन दिवस पर हुए इस आयोजन में उन्होंने भारत माता और आदि शंकराचार्य का पूजन कर भारत भूमि के प्रति सेवा और समर्पण का संदेश दिया।
सरसंघचालक ने भारत माता पूजन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “भारत भूमि हमारा पालन-पोषण करती है। यह भूमि न केवल हमारा संरक्षण करती है, बल्कि हमें सेवा का संस्कार भी प्रदान करती है। भारत माता का पूजन जन, जमीन, जंगल, जल और जीव-जंतुओं की सेवा और सुरक्षा का संकल्प है। पर्यावरण और जैव विविधता के संरक्षण का भाव भी इसी पूजन से प्रेरित होता है।”
अध्यात्म और सेवा का आह्वान
मार्कण्डेय आश्रम में नर्मदा आरती के पश्चात् सरसंघचालक ने एकांत में अध्यात्म साधना और लोक में समाज सेवा का आह्वान किया। उन्होंने गृहस्थ आश्रम को धर्म की धुरी बताते हुए कहा, “जिस प्रकार गरुड़ ने माता की सेवा कर देवता का वाहन बनने का आशीर्वाद पाया, उसी प्रकार हम भी भारत माता की सेवा से धर्म के वाहक बन सकते हैं।”
कुटुंब व्यवस्था पर विशेष मंथन
तीन दिवसीय कुटुंब प्रबोधन बैठक में भारतीय परिवार व्यवस्था को मजबूत बनाने पर चर्चा की गई। सरसंघचालक जी ने भारतीय परिवार को सृष्टि की अनुपम रचना बताया और कहा कि कुटुंब प्रबोधन गतिविधि के माध्यम से परिवारों में संवाद और सकारात्मकता बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है।
बैठक में परिवारों को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए छह “भ” पर काम करने का सुझाव दिया गया—भोजन, भजन, भाषा, भूषा, भ्रमण, और भवन। यह भी कहा गया कि मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से बच्चों में विकृति बढ़ रही है, जिसके समाधान के लिए आपसी संवाद को प्रोत्साहन देना आवश्यक है।
महिलाओं की सहभागिता पर जोर
बैठक में मातृशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए देशभर में महिलाओं द्वारा संचालित कार्यक्रमों की प्रशंसा की गई। आने वाले समय में मातृशक्ति की सहभागिता को और बढ़ाने का आह्वान किया गया।
“भारत विश्व की आत्मा है”
पूजन कार्यक्रम के समापन पर भागवत ने कहा, “यह पूरा विश्व एक देह है और उसकी आत्मा हमारा भारत देश है। जन, पर्यावरण, और समाज की सेवा ही भारत माता का वास्तविक पूजन है।”