इंदौर, 02 जनवरी 2025,(न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: भोपाल गैस त्रासदी के 40 वर्ष बाद यूनियन कार्बाइड का कचरा भोपाल से 250 किलोमीटर दूर धार के पीथमपुर पहुँच गया है। इंदौर- धार के स्थानीय नागरिकों के भारी विरोध के बाद आज नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सभी जनप्रतिनिधियों की एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में भारी संख्या में लोग पीथमपुर में कचरा निष्पादन के विरोध में नजर आए। सभी ने आपका पक्ष रखा। धार से आए जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठन ने एक सुर में कहा कि पीथमपुर में कचरा नहीं जलने दिया जाएगा।
केमिस्ट्री प्रोफेसर डॉ एस एल गर्ग ने कहा कि सामान्य तौर पर 25 वर्ष बाद कचरे का विषैलापन स्वत: ही खत्म हो जाता है लिहाजा कचरे को निपटान के पहले एक बार टेस्ट करवा लेना चाहिए, हो सकता हाई इस कचरे से कोई उपयोगी उत्पाद बन जाये।
वहीं मप्र शासन के अधिकारी विवेक पोरवाल ने कहा कि भोपाल में लगभग 358 टन यूरियान कार्बाइड निकला है। इसमें 60 प्रतिशत से ज्यादा एवल स्थानीय मिट्ठ है एवं लगभग 40 प्रतिशत सेवन नेप्थाल, रेसिड्यूस मूलत: मिठाइल आइसो साइनेट एवं कीटनाशकों के बनने की प्रक्रिया का सह उत्पाद होता है। इसका जहरीलापन 25 साल में पूर्णत: समपट हो जाता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट की डायरेशन से ही पीथमपुर में कचरा जलेगा और कोर्ट इसका सुपर विजन करेगी।
इंदौर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ एस एस नैय्यर ने विरोध करते हुए कहा कि इस विषैले कचरा को सघन आबादी वाले क्षेत्र के निकट जलाने से कई वर्षों तक कई पीढ़ियों तक दूरगामी दुष्प्रभाव देखने को मिलेगा। साथ ही याची डॉ विनीता कोठारी, डॉ संजय लोंढे ने भी कहा कि मानव और पर्यावरण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
धार की स्थानीय विधायक नीना वर्मा ने कहा कि वे लंबे समय से विरोध कर रही हैं, इस कचरे को कहीं दूर ले जाकर एक प्लांट निर्मित कर वहाँ निष्पादित करना चाहिए।
जबलपुर हाई कोर्ट में भी इस मामले में याचिका लगाने वाले धार के अधिवक्ता राजेश चौधरी ने भी विरोध करते हुए कहा कि जब 2015 में यहाँ इस कचरे का ट्रायल हुआ था, उसके बाद से यहाँ बीमारियों का ग्राफ बढ़ा है। रोहित मेवाड़ा ने कहा कि यहाँ के पानी में टीडीएस लेवल असंतुलित हुआ है, जिससे बीमारियाँ बढ़ी हैं।
बैठक में इंदौर के सिटी इंजीनियर अतुल सेठ ने कचरे के निष्पादन में मौसम को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा भोपाल गैस हादसा इसी ठंड के मौसम 2-3 दिसंबर 1984 को हुआ था। तब गैसें बैठ गई थीं। अभी भी ठंड का मौसम है तो क्या अभी इसे जलाना सही है? इस विषय पर भी विचार किया जाना चाहिए।
धार के प्रभारी और कबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने आश्वास्न देते हुए कहा कि सरकार जनता के साथ है, जनप्रतिनिधियों और जनता को विश्वास में लेकर ही आगे बढ़ेंगे।