भाजपा पार्षद कमलेश कालरा की जाति विवाद

पाँच-पाँच हजार रुपये भरने का जमानती वारंट जारी

इंदौर, 04 फरवरी 2025,(न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: उच्च न्यायालय ने न्यायालय की अवमानना के मामले में वार्ड 65 के भाजपा पार्षद कमलेश कालरा सहित चार प्रशासनिक अधिकारियों पर सख्त रुख अपनाते हुए पाँच-पाँच हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया है। जिन अधिकारियों पर वारंट जारी किया गया है, उनमें प्रमुख सचिव पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक विभाग अजीत केसरी, आयुक्त सौरभ कुमार सुमन, सचिव नीलेश देसाई, एसडीएम जूनी इंदौर घनश्याम धनगर तथा छानबीन समिति की सदस्य सफलता दुबे शामिल हैं।

क्या है मामला?

इंदौर के वार्ड 65 से कांग्रेस प्रत्याशी रहे सुनील यादव ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि भाजपा पार्षद कमलेश कालरा ने निगम चुनाव में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित वार्ड से चुनाव लड़ा और जीते। इस मामले की जांच के लिए उच्च न्यायालय ने फरवरी 2024 में छह माह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया था, लेकिन एक साल बाद भी अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष यादव और करण बैरागी ने अदालत में तर्क दिया कि सत्ता पक्ष के दबाव में जांच को जानबूझकर लटकाया जा रहा है, जो न्यायालय की अवमानना है।

कोर्ट का रुख सख्त

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया था, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद, न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा की अदालत ने आज 4 फरवरी 025 को सभी संबंधित अधिकारियों और पार्षद पर न्यायालय की अवमानना का दोषी मानते हुए 5,000 रुपये के जमानती वारंट जारी किए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 मार्च 2025 को होगी।

शुरू से समझिए इस मामले को

जुलाई 2022 में इंदौर नगर निगम चुनाव का परिणाम आया था, जिसमें वार्ड 65 से भाजपा के कमलेश कालरा ने कॉंग्रेस के सुनील यादव को हराया था। जिसके बाद सुनील यादव ने कोर्ट का दरबाजा खखटाया था और याचिका कालरा का चुनाव निरस्त करने की याचिका लगाई थी यह तर्क देते हुए कि कालरा ने जाति संबंधी गलत जानकारी नांमकन में भरी है, जिसके बाद सितंबर 2022 में इंदौर उच्च न्यायालय ने आदेश दिये थे कि एक हाई लेवल कमेटी इस मामले को डिसाइड करे। कोर्ट का आदेश पालन नहीं होने पर याची सुनील यादव के अधिवक्ता मनीष यादव ने एक फ्रेश याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए 6 फरवरी 2024 को हाई कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को 6 माह में इस प्रकरण का निराकरण करने के आदेश दिये, जिसका भी पालन नहीं हुआ। इसके बाद याची ने कोर्ट की अवमानना याचिका दायर की। जिस पर 16 दिसंबर 2024 को सुनवाई करते हुए जस्टिस दुपल्ला वेंकटरमना ने सभी सातों पक्षकारों को नोटिश जारी किए। अधिवक्ता मनीष यादव के मुताबिक आज जस्टिस प्रणय वर्मा की एकल बेंच ने सुनवाई करते हुए पाँच पक्षकारों को 5-5 हजार का जमानती वारंट जारी किया है।   

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *