इंदौर, 27 जनवरी 2025,(न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: आगामी आम बजट 2025 को लेकर चर्चा जोरों पर है। विशेषज्ञ इसे ‘मेक ऑर ब्रेक’ बजट कह रहे हैं। लेकिन यह विश्लेषण क्यों? इसका मतलब क्या है? आइए, इसे समझते हैं।
क्या होता है ‘मेक ऑर ब्रेक’ बजट?
‘मेक ऑर ब्रेक’ का मतलब होता है ऐसा समय या अवसर, जो किसी दिशा को तय कर सकता है—या तो पूरी सफलता की ओर या फिर पूरी विफलता की ओर।
बजट 2025 के संदर्भ में इसे ‘मेक ऑर ब्रेक’ इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि यह अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने और जनता का विश्वास जीतने के लिए बेहद अहम है।
अर्थव्यवस्था की चुनौतीपूर्ण स्थिति
देश इस समय महंगाई, बेरोजगारी और मांग में कमी से जूझ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अर्थव्यवस्था स्टैगफ्लेशन (stagflation) की ओर बढ़ रही है, जहां उच्च महंगाई और कम विकास दर का खतरनाक संगम देखने को मिलता है। ऐसे में सरकार को बड़े और साहसिक फैसले लेने होंगे, ताकि अर्थव्यवस्था को गति मिल सके।
इस बजट से जुड़ी उम्मीदें और दबाव
1. मिडिल क्लास की उम्मीदें:
टैक्स स्लैब में बदलाव, जीएसटी दरों में कटौती और बचत योजनाओं पर रियायतें इस वर्ग की प्रमुख मांगें हैं। यदि ये पूरी नहीं हुईं, तो जनता की क्रय-शक्ति और बाजार की मांग और गिर सकती है।
2. कॉरपोरेट सेक्टर की चिंता:
उद्योग जगत ने बाजार में मांग की कमी को लेकर खुलकर चिंता जताई है। अगर इस बजट में ऐसा कुछ नहीं हुआ, जिससे उपभोक्ता खर्च बढ़े, तो यह अर्थव्यवस्था को और गहरी मंदी में धकेल सकता है।
3. सरकार की राजनीतिक प्राथमिकताएं:
अगले चुनावों को देखते हुए सरकार को लोकलुभावन योजनाओं और कल्याणकारी नीतियों के लिए धन जुटाना होगा। ऐसे में बजट को संतुलित करना एक बड़ी चुनौती होगी।
क्या होगा अगर यह ‘ब्रेक’ बजट साबित हुआ?
अगर सरकार ने जनता की क्रय-शक्ति बढ़ाने या कॉरपोरेट सेक्टर को राहत देने में विफलता पाई, तो न केवल बाजार में मंदी गहरी होगी, बल्कि यह राजनीतिक मोर्चे पर भी नुकसानदायक साबित हो सकता है।
मोदी का अगला ‘बड़ा रिस्क’?
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में अपनी रिस्क लेने की क्षमता का उल्लेख किया था। उनका आखिरी बड़ा रिस्क नोटबंदी था, जिसने अर्थव्यवस्था और राजनीति को झकझोर दिया था। अब सवाल यह है कि इस बजट में उनका अगला बड़ा कदम क्या होगा?
‘मेक ऑर ब्रेक’ बजट के रूप में देखे जा रहे इस वित्तीय दस्तावेज से न केवल अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की उम्मीद है, बल्कि यह भी तय होगा कि सरकार जनता का विश्वास बरकरार रख सकेगी या नहीं। अब देखना यह है कि यह बजट 2025 देश को आर्थिक मजबूती की ओर ले जाएगा या फिर नए संकटों का कारण बनेगा।