सतीश जैन, इंदौर, 2 सितंबर 2024
छत्रपति नगर के दलाल बाग में मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज ने कहा कि सत्ता, संपत्ति और सामर्थ्य को प्राप्त करने के बाद कुछ लोग अपने आप को भगवान समझने लगते हैं। लेकिन यह तीनों चीजें शाश्वत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आगम का सही अर्थ समझना भी एक शैली है, जिसमें कुछ पर्दे हमारी आंखों और आत्मा पर पड़े होते हैं। मुनि श्री ने कहा कि हमें अपने आप को आत्मा के रूप में समझना चाहिए, न कि केवल आदमी या औरत के रूप में।
मुनि श्री ने कहा कि लोग आजकल जीवन का वैभव साड़ी, लाड़ी और गाड़ी में देखते हैं, लेकिन आचार्यों के अनुसार ये भ्रम मात्र हैं। यदि संसारियों की दृष्टि में वैभव देखने की क्षमता न होती तो ये दुकानें कब की बंद हो गई होतीं। उन्होंने कहा कि राग और द्वेष भी अब जीवन की संपत्ति बन गए हैं, और लोग इन्हें पल्लवित करने में लगे रहते हैं। मुनि श्री ने कहा कि मिथ्यात्व से जीवन जीना, राग और द्वेष में आनंद लेना, ये सभी जीवन के भ्रम हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हंसते-हंसते दूसरों की जिंदगी को तबाह कर देते हैं, और उन्हें जोकर बना देते हैं। मुनि श्री ने चेताया कि जीवन को भयभीत मत करें, बल्कि क्रोध, मान, माया, लोभ जैसी कषाओं से मुक्त होकर जीवन जीने का प्रयास करें।
मुनि श्री ने कहा कि जीवन के पैमाने बदलने से नई चेतना आएगी और तभी आपका और संस्कृति का उद्धार हो सकेगा।
दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि आज प्रातः गुरुदेव के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के बाद गुरुदेव की आठ द्रव्यों से पूजन का सौभाग्य उदय नगर जैन समाज को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर मनीष नायक, सतीश डबडेरा, सतीश जैन, आनंद जैन, कमल अग्रवाल, अमित जैन, शिरीष अजमेरा, आलोक बंडा, प्रदीप स्टील, रितेश जैन आदि विशेष रूप से मौजूद थे।
मुनि श्री निस्वार्थ सागर जी महाराज ने कहा कि जब आपसे पूछा जाता है कि आप कहां जा रहे हैं, तो आप कहते हैं कि दुकान या घर जा रहे हैं। लेकिन ऐसा न कहें, बल्कि यह कहें कि हम मोक्ष की यात्रा पर जा रहे हैं। जैसा आपकी भावना होगी, वैसा ही कर्म बंध होगा।
सतीश जैन ने बताया कि प्रतिदिन प्रातः 8:30 बजे आचार्य श्री जी की पूजन के पश्चात 9:00 बजे से मुनि श्री जी के प्रवचन दलाल बाग में होते हैं। 10:00 बजे आहार चर्या संपन्न होती है। धर्म सभा का सफल संचालन भरतेश बड़कुल ने किया।