विपक्ष ने आम बजट पर दी प्रतिक्रिया- मोदी 3.0 का बजट कुर्सी बचाने वाला, शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी में राहत नहीं
बिहार , तमिलनाडु का विशेष पैकेज मोदी की कुर्सी बचाने की कवायद
23 जुलाई 2024
मोदी 3.0 के पहले आम बजट के बाद कांग्रेस ने प्रेस वार्ता लेते हुए बजट को कांग्रेस के न्याय पत्र का कॉपी- पेस्ट बताया साथ ही ये भी कहा कि नकल ठीक से नहीं की गई। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम ने कहा कि यह देखकर खुशी है कि वित्त मंत्री ने कांग्रेस के न्याय पत्र, घोषणा पत्र को बड़ी तल्लीनता और गौर से पढ़ा। उनका ये कुर्सी बचाओ बजट हमारे न्याय पत्र से लेना प्रतीत होता है जिसमें एंजल टैक्स हटाना, पहली नौकरी पक्की, एपरेंटशिप प्रोग्राम कांग्रेस के इन स्कीम को वित्त मंत्री ने नाम बदल कर पेश किया है। आशा है आने वाले दिनों में हमारे घोषणा पत्र की और अच्छी अच्छी चीजें वित्त मंत्री लेंगी।
चिदम्बरम ने कहा कि बेरोजगारी की समस्या बड़ी चुनौती है। जिस पर काम नहीं किया गया। छोटी छोटी नौकरियों के लिए लाखों लोग आवेदन दे रहे हैं। उम्मीद थी कि रोजगार सृजन के लिए काम किया जाएगा लेकिन नहीं हुआ। रिसपोन्स में जो दिया वो बहुत कम है। कॉपी-पेस्ट भी ठीक से नहीं किया गया। रोजगार सृजन का बढ़ा मौका खो दिया गया है। बजट में बताया गया तीन तरह की स्कीमों में 2 करोड़ 90 लाख लोगों को फायदा होगा ये अतिशयोक्ति वाला आंकड़ा लगता है। ऐसा नहीं होने वाला है।
ये देश कमर तोड़ महंगाई से जूझ रहा है। व्होलसेल प्राइस महंगाई दर 3.4 प्रतिशत है। फूड इंफलेशन 9.5 प्रतिशत है। शिक्षा की गुणवत्ता कम हुई है। आज स्टूडेंट्स जिस क्लास में हैं, उस क्लास का पाठ्यक्रम हल नहीं कर सकते। स्कूल के बजट को घटाया जा रहा है। वित्त मंत्री ने शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया है। इसका बजट बहुत कम है। बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने कोई प्लान मोदी सरकार के पास नहीं है। नीट परीक्षा गड़बड़ी को लेकर वित्त मंत्री ने एक शब्द नहीं बोला जबकि उनसे उम्मीद की जा रही थी कि वे नीट पर कुछ कहें। कृषि के क्षेत्र में भी इजाफा नहीं किया गया है।
पिछली बार स्कूल शिक्षा के बजट में 1 लाख 16 हजार 417 करोड़ खर्च करने की बात थी। लेकिन 1 लाख 8 हजार करोड़ ही खर्च हुआ है। यहाँ 8 हजार करोड़ रु शिक्षा बजट पर कटौती की गई है। पब्लिक हेल्थ केयर, सरकारी अस्पतालों का बुरा हाल है। स्वास्थ्य पर खर्चा घटाकर 1.9 प्रतिशत रह गया है। पिछली बार 88 हजार 956 करोड़ रु स्वास्थ्य का बजट था जिसे 80 हजार करोड़ से कम ही खर्च किया गया है। 8 हजार करोड़ से ज्यादा की कटोती की गई है ।
आय थम सी गई है। लगभग 6 साल से लोगों की आय एक जैसी है। वित्तीय वर्ष 2018 से 2023 में स्वरोजगार पाने वाले 12 हजार 800 प्रति माह कमाते हैं। दिहाड़ी मजदूर 7 हजार 400 रु कमाते हैं। मजदूर 19 हजार 750 प्रतिमाह कमाते हैं। हमारे मेनिफेस्टो में 400 रु की प्रति दिन की न्यूनतम आय हर श्रेणी की होना चाहिए। लेकिन 0 से 20 प्रतिशत टैक्स ब्रेकेट के अलावा किसी को भी कोई राहत नहीं है।
आय थम सी गई है। लगभग 6 साल से लोगों की आय एक जैसी है। वित्तीय वर्ष 2018 से 2023 में स्वरोजगार पाने वाले 12 हजार 800 प्रति माह कमाते हैं। दिहाड़ी मजदूर 7 हजार 400 रु कमाते हैं। मजदूर 19 हजार 750 प्रतिमाह कमाते हैं। हमारे मेनिफेस्टो में 400 रु की प्रति दिन की न्यूनतम आय हर श्रेणी की होना चाहिए। लेकिन 0 से 20 प्रतिशत टैक्स ब्रेकेट के अलावा किसी को भी कोई राहत नहीं है।
देश की कृषि का बजट घटाया है। एमएसपी की कानूनी गारंटी की किसान लंबे समय से मांग कर रहे हैं। इस पर भी कोई रिस्पोंस नहीं मिला है। एजुकेशन लोन को माफ नहीं किया गया है। अग्निपथ स्कीम का सब जगह विरोध है। इस स्कीम को खत्म करने का भी आज बजट में कोई उल्लेख नहीं है।
पत्रकारों के द्वारा बिहार और तमिलनाडु को बजट में मिली तवज्जो के प्रश्न पी चिदम्बरम और सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह मोदी को अपनी कुर्सी बचाने की कवायद है। यदि बिहार और तमिलनाडू को मोदी सहयोग नहीं करेंगे तो नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू समर्थन वापस ले लेंगे और उनकी वैसाखी वाली सरकार गिर जाएगी।