दूसरे को कॉपी करके नहीं बन सकता विकसित भारत – डॉ. काकोडकर
इंदौर। एटॉमिक एनर्जी कमीशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष पद्म भूषण डॉ. अनिल काकोडकर ने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हमें अपनी ताकत को पहचानना होगा और अपने परिवेश में सुधार करना होगा। केवल दूसरों की नकल करके हम आगे नहीं बढ़ सकते।
वे अभ्यास मंडल की 64वीं ग्रीष्मकालीन व्याख्यान माला में ‘मेरे सपनों का विकसित भारत’ विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति प्राचीन और सुदृढ़ है। हालांकि, विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब समाज और राष्ट्र दोनों स्तरों पर हम सशक्त और सक्षम बनें।
डॉ. काकोडकर ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में उत्पादन बेहतर हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद समाज में विषमता बढ़ रही है। देश की कुल आय का 22% केवल 1% आबादी के पास है और 0.1% के पास 10% आय है। गांव और शहर के जीवन स्तर में भी गहरी खाई है।
उन्होंने कहा कि हमें तकनीकी विकास के साथ-साथ मानवीय मूल्यों को भी बढ़ावा देना होगा। केवल डिग्री आधारित शिक्षा नहीं, बल्कि घर और समाज से मिलने वाली शिक्षा भी जरूरी है।

कार्यक्रम में अतिथि का स्वागत एन.के. उपाध्याय, मुरली खंडेलवाल सहित अन्य ने किया। संचालन स्वप्निल व्यास ने और आभार प्रदर्शन प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने किया।
आज का व्याख्यान:
अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता और सचिव माला सिंह ठाकुर ने बताया कि 14 मई को शाम 6:30 बजे नागपुर के शिक्षाविद डॉ. वेद प्रकाश मिश्रा “शिक्षा का व्यवसायीकरण और वर्तमान चुनौतियां” विषय पर व्याख्यान देंगे।