आधी आबादी वोट बैंक तक सिमट कर रह गई है वर्तमान विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पर परिचर्चा आयोजित

मतदान के अनुपात में आधी आबादी को कब मिलेगा समुचित प्रतिनिधित्व ?

महिलाओं को समझना होगा अपने ‘मत’ का महत्व

इंदौर

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हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा में चुनाव में महिलाओं ने मतदान तो खूब किया है लेकिन उन्हें सदन में प्रतिनिधित्व मिलना अभी बाकी है । महिला आरक्षण विधेयक ने उम्मीद की रोशनी दिखाई है व यह उम्मीद पूरी कब होगी यह भविष्य में समाहित है ।  उक्त विचार बरकतउल्ला विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ निशा दुबे ने वर्तमान विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी विषय पर डेवलपमेंट फाउंडेशन के द्वारा जाल सभागृह के बोर्ड रूम में आयोजित परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि क्या महिलाओं का मतदान कर देना ही उनकी जागरूकता को प्रदर्शित करता है ? इस समय तकनीक ने हमें जोड़ दिया है । जिसके कारण जागरूकता आई है । अभी राजनीतिक अधिकार की बात करना शेष है । महिलाओं को देश का माहौल और राजनीति के मुद्दे मालूम होना चाहिए । महिला आरक्षण, महिलाओं की इच्छा जागृति का सिस्टम बना रहा है । अच्छे परिवार की योग्य महिला इस वातावरण के कारण अभी भी राजनीति में आने में सोचेगी । राजनीति में इस समय पैसा और मसल्स पावर आवश्यक हो गया है । इस समय हम देखते हैं कि बहुत सी महिलाएं केवल चुनाव चिन्ह को देखकर वोट दे आती है । ऐसा नहीं होना चाहिए । हमें व्यक्ति को वोट देना चाहिए ।

फ्री के समान की जगह महिला अधिकार दें- पिंगले

वरिष्ठ पत्रकार जय श्री पिंगले ने कहा कि हमें सदियों से दबी हुई महिलाओं की आवाज पर कुछ कहना होगा । महिला आरक्षण विधेयक से लंबी शाम और अंधेरी रात के बाद भोर के आने का एहसास हुआ है । अभी कहानी और बाकी है । सुबह भी होना बाकी है । यह बिल तो एक पोस्ट डेटेड चेक है । हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्य के चुनाव में कल 679 सीटों में से मात्र 12% सीटों पर महिलाओं को राजनीतिक दलों के द्वारा टिकट दिया गया । इन राज्यों में 16 करोड़ मतदाता है जिसमें महिला मतदाता की संख्या करीब 8 करोड़ है । ऐसे में राजनीतिक दलों का कहना होता है कि चुनाव जीतने के लिए होता है । अभी भी जिन महिलाओं को टिकट दिया गया है उनमें कोई किसी नेता जी की पत्नी है, कोई नेताजी की बहन है , तो कोई नेताजी की बेटी है । मेहनतकश कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं मिला है । हमें देश के नागरिकों के समान अधिकार की रक्षा करना होगी । शहरी क्षेत्र और आदिवासी तथा पिछड़े क्षेत्रों की तस्वीर अलग-अलग है । इस समय जब महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के बजाय उन्हें पैसा देकर राजनीति हो रही है तो यह सोचा जाना चाहिए कि महिलाएं कहां खड़ी हो पाएगी ? सत्ता नीति का लक्ष्य अलग है । हम महिलाओं को चाहिए कि हम फ्री का समान सरकार से लेने से इनकार कर दें और कहें कि हमें अपना अधिकार चाहिए । हमें शिक्षा, अधिकार, मजबूती चाहिए ।

आधी आबादी वोट बैंक तक सिमट कर रह गई है जैन

 न्यूज़ओ2 डॉट कॉम की संपादक नेहा जैन ने ‘वर्तमान चुनाव में महिलाओं की भागीदारी’ विषय पर कहा कि आधी आबादी राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक बनकर रह गई है। राजनीतिक पंडितों द्वारा सवा करोड़ महिलाओं के लिए चुनाव के कुछ समय पहले आई लाड़ली बहना योजना गेम चेंजर बताई जा रही है। मतदान में 2018 की तुलना में इस बार 2 प्रतिशत अधिक इजाफे के साथ 71.88 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाला है, जिसे लाड़ली योजना का असर बताया जा रहा है। राजनीतिक दल के लिए महिला साड़ी, बिंदी, पायजेब तक ही सीमित है। उनको अपने ‘मत’ का महत्व समझना होगा। उन्हें जागरूक करना होगा कि किस मुद्दे पर किसको वोट देना है और क्यों देना है ? यदि कोई प्रत्याशी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रहा है तो ‘नोटा’ का भी अर्थ समझना होगा।

इंदौर में 114 प्रत्याशियों में महज 7 महिला ही मैदान में

पत्रकार नेहा जैन ने आगे कहा कि आरक्षण की लंबी लंबी बातें करने वाले दो प्रमुख राजनीतिक दलों ने 15 प्रतिशत से भी कम महिला प्रत्याशियों को विधान सभा का टिकट दिया है। इंदौर जिले की 9 विधान सभा सीटों पर 114 प्रत्याशी मैदान में थे जिसमें से महज 6.14 प्रतिशत यानि 7 महिलाएं ही मैदान में थीं। इनमें भी महज 2 महिला निर्दलीय उतरी हैं।

भाजपा नेत्री विनीता धर्म ने कहा कि देवी अहिल्याबाई होल्कर , जीजाबाई, झांसी की रानी और इंदिरा गांधी इन्होंने बिना आरक्षण के खुद को साबित किया है । प्रतिभा पाटिल और द्रोपति मुर्मू भी बिना किसी आरक्षण के देश की राष्ट्रपति बनी है । महिला आरक्षण को देश में 10 साल के लिए लागू किया जाना चाहिए ।

भाजपा पार्षद मुद्रा शास्त्री ने कहा कि हर चुनाव में भाजपा के द्वारा महिलाओं को दिए जा रहे टिकट की संख्या में वृद्धि की जा रही है । महिलाओं को मैनेजमेंट आता है । वह परिवार को मैनेज करती है ।

 समाजसेविका कविता शर्मा ने कहा कि महिलाओं की भागीदारी मतदान के अधिकार तक नहीं है । उनमें राजनीतिक चेतना जगाना और निर्णय लेने की क्षमता पैदा करने की भी आवश्यकता है ।

भाजपा नेत्री पदमा भोजे ने कहा कि महिलाओं को चाहिए कि वह अपने आप को सिद्ध करें । हर दिन अखबार पड़े और टीवी पर समाचार देखें ।

समाजसेविका सुमन ज्ञानी ने कहा कि महिलाओं के राजनीति के जड़ से जुड़ने की जरूरत है । राजनीति को समझने की जरूरत है । महिलाओं को चाहिए कि वह फैसला लें कि उन्हें किस तरह क्या करना है ?

समाजसेविका डॉक्टर जय श्री सिक्का ने कहा कि महिला का शिक्षित होना और जागरूक होना अलग-अलग चीज है ।

 सहोदय ग्रुप की कंचन तारे ने कहा कि हमें बच्चों को यह बताना होगा कि सांसद, विधायक और पार्षद क्या होता है ?

 ग्रीष्मा त्रिवेदी ने कहा कि महिलाओं को जागरूक होने की जरूरत है।

 सेवानिवृत्ति प्रशासनिक अधिकारी रेणु पंत ने कहा कि चुनाव आयोग को सशक्त करना होगा । चुनाव में बाहुबली की स्थिति पर नियंत्रण लाना होगा । वातावरण में स्वच्छता लाना होगी । तभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ सकेगा ।

 कविता शुक्ला ने कहा कि चुनाव में महिलाओं को प्रलोभन देकर वोट पाने की आदत बढ़ती जा रही है ।

 कार्यक्रम के प्रारंभ में डेवलपमेंट फाउंडेशन के आलोक खरे ने विषय की प्रस्तावना रखी । उन्होंने इस विधानसभा चुनाव में महिलाओं के मतदान के प्रतिशत में बढ़ोतरी को महिलाओं की जागरूकता से जोड़कर रखा । कार्यक्रम का संचालन सेवानिवृत्ति बैंक अधिकारी एनी पंवार ने किया । कार्यक्रम के अंत में श्याम पांडे ने आभार प्रदर्शन किया ।