शासन में आने के उद्देश्य से तय होता है शासन का स्वरूप

इंदौर। अभ्यास मंडल की 64वीं ग्रीष्मकालीन व्याख्यान माला के उद्घाटन सत्र में प्रख्यात विचारक एवं सामाजिक कार्यकर्ता हरि बोरिकर ने कहा कि सुशासन के लिए शासन का सशक्त, संवेदनशील और सुदृढ़ होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जब कोई राजनीतिक दल सत्ता में आता है तो उसका उद्देश्य यह तय करता है कि शासन कैसा होगा।

‘सुशासन का आधार – नागरिक कर्तव्य’ विषय पर बोलते हुए बोरिकर ने कहा कि सुशासन केवल सत्ता में बैठे लोगों से नहीं बल्कि नागरिकों के कर्तव्य पालन से भी सुनिश्चित होता है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में अधिकार और कर्तव्यों दोनों का उल्लेख है और दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि संवेदनशील शासन ही जनकल्याणकारी योजनाएं बना सकता है।

उन्होंने वर्ष 2012 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और सत्ता में आए नेताओं के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि जब नेतृत्व संवेदनशील न हो तो जनता को छठ पूजा जैसे पर्व भी प्रदूषित जल में मनाने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि संविधान की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह किसके हाथ में है।

बोरिकर ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग की आशंका जताई और कहा कि भारत की सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है। कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद शंकर लालवानी ने की। संचालन पल्लवी अढाव ने किया तथा आभार अशोक बड़जात्या ने माना।

आज का व्याख्यान: 11 मई को शाम 6:30 बजे से विंग कमांडर अनुमा आचार्य ‘भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका’ विषय पर व्याख्यान देंगी।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *