इंदौर। जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों को उम्मीद थी कि इससे अप्रत्यक्ष कर प्रणाली अधिक सरल और पारदर्शी बनेगी। लेकिन, समय के साथ करदाताओं को महसूस हो रहा है कि जीएसटी प्रक्रिया में उनका अधिकांश समय इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के मिलान, रिटर्न फाइलिंग और विभागीय नोटिसों का जवाब देने में व्यतीत हो रहा है। व्यापारियों का मानना है कि सप्लायर की गलती का पूरा भार क्रेता पर डालना अन्यायपूर्ण है।
इसी संदर्भ में टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन और इंदौर चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ब्रांच द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें जीएसटी में ITC से जुड़े प्रमुख विवादों पर चर्चा की गई।
सप्लायर का रजिस्ट्रेशन रद्द करने से ITC पर असर अन्यायपूर्ण
सेमिनार में सीए सुनील खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी विभाग को पूर्व तिथि से किसी भी व्यापारी का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। यदि किसी व्यापारी ने माल या सेवा खरीदी है और उस समय सप्लायर का जीएसटी रजिस्ट्रेशन वैध था, तो उस क्रेता का ITC अस्वीकार करना गलत होगा। उन्होंने विभिन्न न्यायालयों के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि जब तक लेन-देन वास्तविक है, तब तक ITC पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
सीए उमेश गोयल ने कहा कि यदि सप्लायर ने ई-इनवॉइस जारी नहीं किया, रिवर्स चार्ज में गलती की, या कर की राशि गलत दर्शाई तो इसकी जिम्मेदारी सीधे क्रेता पर डालना अनुचित होगा। इसके लिए पहले सप्लायर पर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने करदाताओं को सलाह दी कि वे जीएसटीआर-2बी का नियमित विश्लेषण करें और समय रहते सुधार करवाएं, ताकि भविष्य में नोटिस से बचा जा सके।
जीएसटी में ITC की जिम्मेदारी पूरी तरह क्रेता पर डालना अनुचित
सीए कृष्ण गर्ग ने कहा कि सरकार ने जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट की चोरी रोकने के लिए सारी जिम्मेदारी क्रेता व्यापारी पर डाल दी है। क्रेता यदि सप्लायर को पूरा भुगतान कर भी देता है, तब भी उसे यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि सप्लायर ने अपना रिटर्न भरकर कर भुगतान किया है। अगर सप्लायर गलती करता है, तो क्रेता को ITC से वंचित कर दिया जाता है और उस पर ब्याज व पेनल्टी भी लगाई जाती है। इसलिए व्यापारियों को किसी नए सप्लायर से डील करने से पहले पूरी जांच-पड़ताल करनी चाहिए।
पुराने वर्षों के लिए जारी हो रहे हैं नोटिस
टीपीए अध्यक्ष सीए जे पी सर्राफ ने कहा कि वर्ष 2017-18 और उसके बाद के वर्षों के लिए विभाग की ओर से बड़े पैमाने पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं। करदाताओं को अपने जीएसटी पोर्टल पर नियमित रूप से नोटिसों की जांच करनी चाहिए। यदि किसी मांग से सहमत हैं, तो उसका तत्काल भुगतान करें, अन्यथा ब्याज और पेनल्टी का अतिरिक्त भार उठाना पड़ सकता है।
कार्यक्रम में विशेषज्ञों की भागीदारी
इस सेमिनार में नवीन खंडेलवाल, राजीव सक्सेना, एडवोकेट गोविंद गोयल, कपिल जाजू सहित बड़ी संख्या में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और कर सलाहकार उपस्थित थे। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन सीए सुनील पी जैन ने किया।