“पॉवर सिर पर न चढ़े…” – हाल ही में HC के मुख्य न्यायाधीश ने दी दो टूक चेतावनी

जबलपुर/उज्जैन/ इंदौर (9826055574)

“किसी भी नागरिक या कर्मचारी को सरकारी अधिकारियों की दया पर अकेला नहीं छोड़ा जा सकता।” यह सख्त टिप्पणी हाल ही में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान की, जब राज्य के विभिन्न जिलों से आए अफसरों की मनमानी और लोकसेवा की शपथ को तोड़ने की घटनाएं सामने आईं। अदालत के तेवर इस बात का संकेत हैं कि अब बेलगाम होते शाही अफसर पर कानून – व्यवस्था बनाये रखने के दायित्वों से भटक चुके है।

हाईकोर्ट की लगातार फटकार और अफसरों को कटघरे में खड़ा करने का सिलसिला तब और मायने रखता है, जब मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुरेश कुमार कैत खुद इस पर चिंता जता चुके हैं। हाल ही में उज्जैन में आयोजित विक्रमादित्य समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में उन्होंने साफ शब्दों में कहा

“न्यायपालिका पर लंबित मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है। जजों की संख्या कम है और अफसरों व मंत्रियों के सिर पर चढ़कर बोलती शक्ति का दुरुपयोग चिंताजनक है। सत्ता और प्रशासन जनता के सेवक होते हैं, न कि उनके शासक।”

HC के प्रहार: जब कोर्ट ने अफसरों को आईना दिखाया !

▶ केस 1: जबलपुर

(17 जनवरी 2025) – लुकआउट नोटिस में फंसा गूगल कर्मचारी

हाईकोर्ट ने जबलपुर के एसपी संपत उपाध्याय पर नाराजगी जताते हुए कहा— “एसपी न तो नागरिकों का सम्मान करते, न ही देश के कानून का।” यह मामला एक गूगल कर्मचारी को लुकआउट नोटिस के कारण हैदराबाद एयरपोर्ट पर घंटों बंधक बनाए जाने से जुड़ा था। अदालत ने प्रशासन की लापरवाही पर कड़ी टिप्पणी की।

▶ केस 2: रीवा

(3 जनवरी 2025) – 30 साल से मुआवजे का इंतजार

रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल को कोर्ट ने सीधा सवाल किया— “आपको कलेक्टर इसलिए नहीं बनाया कि आप नागरिकों के हक का शोषण करें।” मामला 30 साल से मुआवजे के लिए भटक रहे जमीन मालिक का था, जिसे न्यायालय ने तत्काल राहत दी और अधिग्रहण की कार्रवाई खारिज कर दी।

▶ केस 3:

छतरपुर (11 दिसंबर 2024) – बिना अधिग्रहण के सड़क बनाना पड़ा भारी

छतरपुर के कलेक्टर पार्थ जायसवाल बिना अधिग्रहण निजी जमीन पर सड़क बनाने का फरमान सुना बैठे, तो हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की— “कोर्ट मूक दर्शक नहीं बन सकती क्योंकि आप ताकतवर सरकार हैं।”

▶ केस 4:

भोपाल (14 फरवरी 2025) – फरार चिटफंड डायरेक्टरों पर लापरवाही

भोपाल पुलिस के लचर रवैये पर कोर्ट का गुस्सा फूटा। 40 फरार चिटफंड डायरेक्टरों को पकड़ने में नाकाम पुलिस को अदालत ने कड़ी फटकार लगाई— “पुलिस आरोपियों को पकड़ने गई या तीर्थ यात्रा करने?”

▶ केस 5:

पन्ना (20 फरवरी 2025) – महिला का जबरन मकान अधिग्रहण

पन्ना नगर निगम ने एक महिला का घर जबरन अधिग्रहित कर लिया, लेकिन न्यायालय ने इस अन्याय को पूरी तरह खारिज करते हुए सख्त टिप्पणी की— “आंख पर पट्टी बांधकर धृतराष्ट्र बना प्रशासन, अधिकारी अंधे हो गए।”

▶ केस 6:

सिंगरौली (26 फरवरी 2025) – पुलिस की गुंडागर्दी पर HC का वार

सिंगरौली के चितरंगी में एसडीओपी द्वारा अवैध रूप से ट्रैक्टर जब्त करने के मामले में हाईकोर्ट ने पुलिस की मनमानी को ‘गुंडई’ करार देते हुए कहा— “कानून व्यवस्था को छोड़कर अब गुंडई में लग गई पुलिस।”

क्या अफसरों का अहंकार टूटेगा?

हाईकोर्ट की लगातार सख्ती यह दर्शाती है कि अब अधिकारियों की मनमानी और लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि सत्ता का अहंकार न्याय की कुर्सी के आगे नहीं टिक सकता।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुरेश कुमार कैत का बयान “पॉवर सिर पर न चढ़े” प्रशासन के लिए कड़ा संदेश है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि अदालत की सख्ती अफसरों में सुधार लाती है या फिर यह सिलसिला ऐसे ही जारी रहेगा।

क्या कुर्सी का अहंकार टूटेगा, या फिर जनता को न्याय पाने के लिए हर बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा?

इंदौर में पुलिस और प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली वरिष्ठ नागरिकों और आम लोगों के लिए चुनौती बन रही है। उद्योगपति, व्यापारी और आम लोग अपराधियों और माफियाओं से डरे-सहमे हैं, जबकि जिम्मेदार अधिकारी सुरक्षा देने के बजाय मुँह मोड़ रहे हैं। जानिए पूरी रिपोर्ट आगामी 7 मार्च को…न्यूज़O2/इंदौर वार्ता पर।

By Jitendra Singh Yadav

जितेंद्र सिंह यादव वरिष्ठ पत्रकार, आरटीआई कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक 15+ वर्षों का पत्रकारिता अनुभव, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (UNI) से जुड़े। स्वतंत्र विश्लेषक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरी पकड़। Save Journalism Foundation व इंदौर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के संस्थापक। Indore Varta यूट्यूब चैनल और NewsO2.com से जुड़े। 📌 निष्पक्ष पत्रकारिता व सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित।

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