इंदौर, 21 फरवरी 2025 – 9826055574
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि एमपी कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा की जाने वाली किसी भी नई नियुक्ति पर अंतिम निर्णय याचिका के निपटारे पर निर्भर करेगा। यह आदेश ‘मीनाक्षी बनाम सामान्य प्रशासन विभाग और अन्य’ मामले में सुनवाई के दौरान दिया गया।
मामले का विवरण:
याचिकाकर्ता मीनाक्षी की ओर से एडवोकेट जयेश गुरनानी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें एमपी कर्मचारी चयन बोर्ड की नियुक्तियों को चुनौती दी गई है। राज्य सरकार की ओर से डॉ. अमित भाटिया, सरकारी वकील के रूप में उपस्थित हुए।
कोर्ट का निर्देश:
न्यायाधीश सुबोध अभ्यंकर ने आदेश दिया कि:
- याचिकाकर्ता के वकील को एमपी कर्मचारी चयन बोर्ड (प्रतिवादी नंबर 3) के नियमित वकील मनु महेश्वर याचिका की अग्रिम प्रति उपलब्ध करानी होगी।
- कोर्ट ऑफिस को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि मनु महेश्वरी का नाम कॉज़-लिस्ट में दर्ज किया जाए, ताकि वे मामले में उचित निर्देश प्राप्त कर सकें।
- अगली सुनवाई की तिथि 27 फरवरी 2025 निर्धारित की गई है।
- याचिका के अंतिम निर्णय तक की जाने वाली किसी भी नियुक्ति को न्यायालय के अंतिम आदेश के अधीन माना जाएगा।
नियुक्तियों पर प्रभाव:
हाईकोर्ट के इस आदेश का सीधा असर एमपी कर्मचारी चयन बोर्ड की आगामी नियुक्तियों पर पड़ेगा। इसका मतलब है कि चयन प्रक्रिया जारी रहेगी, लेकिन अंतिम नियुक्तियां कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर रहेंगी
विशेषज्ञों की राय:
कानूनी विशेषज्ञ नेहा जैन का मानना है कि इस प्रकार के अंतरिम आदेश नियुक्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह याचिकाकर्ता और संभावित उम्मीदवारों दोनों के अधिकारों की रक्षा करता है।
उम्मीदें : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह आदेश उन उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है, जो एमपी कर्मचारी चयन बोर्ड की भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा हैं। अब सभी की निगाहें 27 फरवरी 2025 को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां इस मामले में आगे की दिशा निर्धारित होगी।
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