इंदौर, 18 फरवरी 2025: INDORE VARTA / NEWSO2 / 9826055574

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इंदौर कुटुंब न्यायालय द्वारा हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13-B के तहत दायर तलाक की याचिकाओं को खारिज करने के फैसले पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए. के. सेठी को अमाइकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया है, जो अदालत की इस मामले में सहायता करेंगे।

क्या है पूरा मामला?

धारा 13-B के तहत तलाक तभी संभव होता है जब पति-पत्नी आपसी सहमति से विवाह विच्छेद की अर्जी दाखिल करें। इंदौर के प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय ने इस धारा के तहत दाखिल की गई कुल 28 याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिससे कई याचिकाकर्ता प्रभावित हुए। इस आदेश के खिलाफ कई याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में अपील दायर की।

हाईकोर्ट का रुख और ताजा आदेश

इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने माना कि अब तक किसी भी अदालत ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं दिया है। इस आधार पर, कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता ए. के. सेठी को अमाइकस क्यूरी नियुक्त किया, ताकि वे इस विवाद में न्यायालय की सहायता कर सकें।

सुनवाई के दौरान उपस्थित अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट को अवगत कराया कि इंदौर के कुटुंब न्यायालय ने 28 याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जबकि कई मामलों में हाईकोर्ट में अपील भी दायर की जा चुकी है। इस पर न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति गजेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने परिवार न्यायालय को निर्देश दिया कि जब तक हाईकोर्ट इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय नहीं लेता, तब तक सिर्फ इसी आधार पर लंबित याचिकाओं को खारिज न किया जाए।

क्यों महत्वपूर्ण है यह आदेश?

  • तलाक प्रक्रिया में राहत: हाईकोर्ट का यह आदेश उन दंपतियों के लिए राहत लेकर आया है, जिन्होंने आपसी सहमति से तलाक की याचिका दाखिल की थी।
  • कानूनी व्याख्या की जरूरत: हाईकोर्ट ने माना कि धारा 13-B के तहत दायर याचिकाओं को खारिज करने का यह तरीका कानूनी व्याख्या की मांग करता है।
  • भावी फैसलों पर प्रभाव: इस मामले में हाईकोर्ट का अंतिम निर्णय आने वाले समय में इसी तरह के अन्य मामलों के लिए एक नज़ीर बन सकता है।

अगली सुनवाई कब?

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च 2025 को तय की है। इस दिन यह स्पष्ट हो सकता है कि क्या कुटुंब न्यायालय का आदेश कानूनी रूप से उचित था या इसमें सुधार की आवश्यकता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज खंडेलवाल (अपीलकर्ता के वकील) ने कहा:

“यह मामला न केवल तलाक के मामलों से जुड़ा है, बल्कि यह भी तय करेगा कि क्या कुटुंब न्यायालय इस तरह की याचिकाओं को खारिज कर सकता है।”

वहीं, प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता वर्षा गुप्ता का कहना है:

“इस मुद्दे पर न्यायालय को स्पष्ट दिशा-निर्देश देने होंगे, ताकि आगे इसी तरह के मामलों में भ्रम की स्थिति न बने।”

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के इस आदेश से तलाक की प्रक्रिया में फंसे कई जोड़ों को राहत मिली है। अब सभी की निगाहें 18 मार्च 2025 की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां हाईकोर्ट इस विवाद पर कोई बड़ा फैसला ले सकता है।

न्यूज़ O2 के लिए विशेष रिपोर्ट : JITENDRA SINGH YADAV

By Jitendra Singh Yadav

जितेंद्र सिंह यादव वरिष्ठ पत्रकार, आरटीआई कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक 15+ वर्षों का पत्रकारिता अनुभव, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (UNI) से जुड़े। स्वतंत्र विश्लेषक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरी पकड़। Save Journalism Foundation व इंदौर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के संस्थापक। Indore Varta यूट्यूब चैनल और NewsO2.com से जुड़े। 📌 निष्पक्ष पत्रकारिता व सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *