भोपाल – मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सूचना आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सूचना आयुक्त को सरकार के एजेंट के रूप में काम नहीं करना चाहिए और उन्हें निष्पक्ष रहकर आरटीआई अधिनियम के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करना चाहिए।

हाईकोर्ट का कड़ा रुख

जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने मुख्य सूचना आयुक्त को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को मांगी गई जानकारी 15 दिन के भीतर मुफ्त में उपलब्ध कराई जाए और 40,000 रुपये का हर्जाना भी दिया जाए।

क्या है मामला?

भोपाल निवासी नीरज निगम ने 26 मार्च 2019 को सूचना के अधिकार (RTI) के तहत एक आवेदन दायर किया था। निर्धारित 30 दिनों की समयसीमा में सूचना नहीं दी गई, बल्कि सूचना अधिकारी ने 2,38,000 रुपये की मांग करते हुए कहा कि इतनी राशि जमा करने के बाद ही जानकारी दी जाएगी।

नीरज निगम ने इस मामले को मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) के समक्ष रखा, लेकिन CIC ने बिना किसी जांच के ही अपील खारिज कर दी। इससे असंतुष्ट होकर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

कोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने मुख्य सूचना आयुक्त के फैसले को मनमाना और गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने विवेक का सही इस्तेमाल नहीं किया और सरकार के पक्ष में झुकाव दिखाया। कोर्ट ने इसे आरटीआई अधिनियम के खिलाफ बताया और कहा कि इस तरह की कार्यप्रणाली से लोकतांत्रिक अधिकार कमजोर होते हैं।

क्या कहा अधिवक्ता ने?

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट में तर्क रखा कि मुख्य सूचना आयुक्त ने बिना किसी ठोस आधार के अपील को खारिज कर दिया। यह सूचना का अधिकार कानून के उद्देश्यों के विपरीत था और इससे जनता की पारदर्शिता की उम्मीदों को ठेस पहुंची।

कोर्ट का सख्त संदेश

इस फैसले से स्पष्ट है कि सूचना आयुक्त की जिम्मेदारी नागरिकों को पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है, न कि सरकार के बचाव में कार्य करना। हाईकोर्ट का यह निर्णय सूचना अधिकार कानून की प्रभावशीलता को बनाए रखने और नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

By Jitendra Singh Yadav

जितेंद्र सिंह यादव वरिष्ठ पत्रकार, आरटीआई कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक 15+ वर्षों का पत्रकारिता अनुभव, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (UNI) से जुड़े। स्वतंत्र विश्लेषक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरी पकड़। Save Journalism Foundation व इंदौर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के संस्थापक। Indore Varta यूट्यूब चैनल और NewsO2.com से जुड़े। 📌 निष्पक्ष पत्रकारिता व सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित।

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