“मानव अधिकारों की प्रासंगिकता एवं विवाद” विषय पर संस्था न्यायाश्रय का आयोजन-वकीलों एवं विधि विद्यार्थियों ने दिया भाग
(मानव अधिकार दिवस पर परिचर्चा का आयोजन)
इंदौर, 10 दिसंबर 2024,(न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: मानव अधिकारों का जन्म मानव के रूप में जन्मे व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करना है किंतु वर्तमान में यह देखा जा रहा है कि बड़े-बड़े जघन्य अपराधी, मानव अधिकारों का लाभ लेने का प्रयास करते हैं और इससे भी बड़ी आश्चर्य की बात यह है कि मानव अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करने वाली संस्थाएं इन अपराधियों की पैरवी करती है , तो सर्वप्रथम हमें यह समझना होगा कि मानव अधिकारों का जन्म किनकी रक्षा के लिए हुआ है मानवों की , कि दानवों की। मानव अधिकारों के प्रवर्तन पर पुनः समीक्षा की आवश्यकता है यह कहना है लॉ प्रोफेसर एवं एडवोकेट पंकज वाधवानी का जो संस्था न्यायाश्रय द्वारा आयोजित परिचर्चा पर बोल रहे थे।
मानव अधिकारों के प्रवर्तन पर हो पुनः समीक्षा
एडवोकेट पंकज वाधवानी ने संबोधित करते हुए कहा कि मानव अधिकारों की प्रवर्तन पर पुनः समीक्षा होनी चाहिए। उल्लेखनीय है,10 दिसंबर को प्रतिवर्ष मानव अधिकार दिवस मनाया जाता है और इसी दिन संस्था न्यायाश्रय द्वारा एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें अधिवक्ता गण एवं लॉ स्टूडेंट्स भाग लिया।
परिचर्चा के पश्चात संबंधित मंत्रालयों को सुझाव प्रेषित किए जाएंगे
संस्था न्यायाश्रय के अध्यक्ष एडवोकेट एवं लॉ प्रोफेसर पंकज वाधवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि मानव अधिकार का यह विवादास्पद बिंदु है कि प्रत्येक मानव के रूप में जन्म लेने वाले व्यक्ति को मानव अधिकार मिलने चाहिए किंतु ऐसे व्यक्ति जो कानून को नहीं मानते और अन्य लोगों के मानवाधिकारों का बुरी तरीके से दमन करते हैं अर्थात आतंकवादी, आदतन अपराधी इत्यादि। अतः मानव अधिकारों की प्रासंगिकता पर आए दिन विवाद उठने रहते हैं,ऐसे में क्या आदतन अपराधियों को भी मानव अधिकार उपलब्ध कराया जाना चाहिए । क्या मानव अधिकार आदतन अपराधियों को उपलब्ध कराने से आम जनता और समाज के हितों के साथ खिलवाड़ नहीं होगा। इस परिचर्चा के माध्यम से उत्पन्न होने वाले बिंदुओं को संबंधित मंत्रालयों को प्रेषित किया जाएगा।