आईआईपीएस में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का सफल समापन

इंदौर,28 फरवरी 2025

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय व्यवसायिक अध्ययन संस्थान (IIPS) द्वारा आयोजित IIPS-CoMET 2025 अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का सफल समापन हुआ। “एक्सीलरेटिंग प्रोग्रेस टुवर्ड्स सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स” विषय पर आधारित इस कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन का शुभारंभ JSW ग्रुप के वाइस प्रेसीडेंट पवन पटेल के सत्र से हुआ।

स्टील उद्योग में सस्टेनेबिलिटी पर जोर

अपने संबोधन में पवन पटेल ने बताया कि भारत अभी निर्माण के चरण में है, जिससे स्टील की मांग तेजी से बढ़ रही है। भविष्य में रेलवे, हाईवे, पोर्ट, एविएशन और मेट्रो रेल जैसे क्षेत्रों में स्टील की खपत और बढ़ेगी। हालांकि, स्टील उद्योग सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जन उद्योग है, जो एक बड़ी चुनौती भी है। JSW इस चुनौती से निपटने के लिए 2050 तक कार्बन नेट न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रख रहा है। उन्होंने बताया कि कंपनी स्टील के स्क्रैप और रिसाइकलिंग पर ध्यान केंद्रित कर रही है और जीरो-वेस्ट नीति को अपना रही है।

ग्रीन कंप्यूटिंग से सस्टेनेबिलिटी की ओर

ऑस्ट्रेलिया के मैक्वेरी विश्वविद्यालय के डॉ. गौरव गुप्ता ने ग्रीन कंप्यूटिंग पर चर्चा करते हुए कहा कि लिक्विड कूलिंग सिस्टम, कार्बन-न्यूट्रल डेटा सेंटर, एनर्जी एफिशिएंट कोडिंग फ्रेमवर्क, वर्क फ्रॉम होम और ग्रीन आईटी सर्टिफिकेशन जैसे उपाय सस्टेनेबिलिटी की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि सॉफ्टवेयर ऑप्टीमाइजेशन के जरिए स्पेस और टाइम कॉम्प्लेक्सिटी को कम करके SDGs को प्राप्त किया जा सकता है।

सस्टेनेबिलिटी के लिए उद्योग और शिक्षा जगत का सहयोग जरूरी

कॉन्फ्रेंस के समापन समारोह में फ्रांस के इंस्टीट्यूट माइंस-टेलीकॉम बिजनेस स्कूल की प्रो. भूमिका गुप्ता ने कहा कि आज दुनिया एक ऐतिहासिक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है, जहां लिए गए निर्णय पर्यावरण और मानवता के भविष्य को परिभाषित करेंगे। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और सामाजिक असमानता जैसी वैश्विक चुनौतियों पर ध्यान दिलाते हुए शिक्षा और उद्योग के बीच सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च, वित्तीय सहायता और नीति समर्थन जैसे पहलू सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए आवश्यक हैं।

सस्टेनेबिलिटी को सामाजिक स्तर पर लागू करने की जरूरत – प्रो. पी.के. चांदे

आईआईएम इंदौर के पूर्व प्रोफेसर पी.के. चांदे ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित 17 सस्टेनेबिलिटी गोल्स को तब तक प्राप्त नहीं किया जा सकता, जब तक कि इन्हें सामाजिक स्तर पर नहीं लाया जाता। उन्होंने कहा कि प्रबंधन, तकनीक, कौशल और नीति-निर्धारण को पर्यावरण से जोड़ना जरूरी है। इसके लिए ज्ञान सृजन और जागरूकता को बढ़ावा देकर सस्टेनेबिलिटी गोल्स को प्रभावी बनाया जा सकता है।

कार्बन ऑफसेट प्रोजेक्ट से प्रदूषण को कम करने पर जोर

EKI एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड की हेड, लर्निंग एंड डेवलपमेंट, श्रीमती मोनिका आनंद ने कहा कि उद्योगों द्वारा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए “कार्बन ऑफसेट प्रोजेक्ट लाइफ साइकिल” को अपनाना चाहिए।

60 शोध पत्र प्रस्तुत

कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन तीन तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिसमें 29 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। दो दिवसीय अधिवेशन में कुल 60 शोधपत्रों को प्रस्तुत किया गया।

समापन समारोह में रिसर्चर कैटेगरी और स्टूडेंट कैटेगरी के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ शोध पत्रों को नगद राशि और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

पुरस्कृत शोधकर्ता:

मैनेजमेंट ट्रैक (रिसर्चर कैटेगरी): कौटिल्य दगाउँकर और पूजा मेंघानी

मैनेजमेंट ट्रैक (स्टूडेंट कैटेगरी): शुभी सिंघल

टेक्नोलॉजी ट्रैक (रिसर्चर कैटेगरी): अजीत कुमार जैन और प्रवीण शर्मा

टेक्नोलॉजी ट्रैक (स्टूडेंट कैटेगरी): अनुराग सोलंकी और अजय

इसके अलावा, Quest-CoMET ऑनलाइन क्विज में राज चौधरी, कनिष्का डाबी और पलक सिंघई को सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर गिफ्ट हैंपर दिए गए।

इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स को आगे बढ़ाने और शिक्षा एवं उद्योग जगत के बीच तालमेल स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है। 

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