इंदौर, 16 जनवरी 2025,(न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: आईआईटी इंदौर आगामी 17-19 जनवरी 2025 के बीच स्पिक मैके (सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंग्स्ट यूथ) के क्षेत्रीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा। यह आयोजन सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण पहल होगी, जिसमें मध्य प्रदेश और राजस्थान के लगभग 150 छात्रों और स्वयंसेवकों के शामिल होने की उम्मीद है।
आईआईटी इंदौर के डायरेक्टर प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा कि शास्त्रीय संगीत सुनने से एकाग्रता बढ़ती है। पढ़ाई के साथ संगीत का भी अपना महत्व है। इसलिए अगले सत्र से हर सेमेस्टर मे हफ्ते में 2 घंटे का क्लासिकल संगीत का क्रेडिट कोर्स शुरू करने जा रहे हैं ताकि स्टूडेंट्स को भारतीय संस्कृति के साथ जोड़ा जा सके।
सम्मेलन का उद्देश्य और महत्व
आईआईटी दिल्ली से सेवानिर्वत्त प्रोफेसर और स्पिक मैके के संस्थापक पदम श्री किरण सेठ ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को भारतीय शास्त्रीय संगीत और विविध सांस्कृतिक परंपराओं से जोड़ना है। यह आयोजन न केवल भारतीय कला और संस्कृति का उत्सव मनाएगा बल्कि युवाओं को अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समझने और आत्मसात करने के लिए भी प्रेरित करेगा। इसका उद्देश्य 2030 तक हर बच्चे तक भारतीय और विश्व सांस्कृतिक धरोहर को पहुंचाना है। यह सम्मेलन आईआईटी इंदौर जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में आयोजित होने जा रहा है, जो अपनी एकीकृत दृष्टि और समर्पण के लिए उपयुक्त मंच है।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और कार्यशालाएं
इस तीन दिवसीय सम्मेलन में देश के जाने-माने कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे, जिनमें शामिल हैं:
- तारापद रजक (पुरुलिया छाऊ)
- पं. उल्हास कशाळकर (हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन)
- उस्ताद शाहिद परवेज़ खान (सितार)
- उस्ताद राजा मियाँ (हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन)
इसके अतिरिक्त, प्रतिभागियों को विभिन्न कार्यशालाओं में भाग लेने का अवसर मिलेगा। इन कार्यशालाओं का नेतृत्व अनुभवी विशेषज्ञ करेंगे, जैसे:
- विदुषी गौरी दिवाकर (कथक)
- श्री अफ़ज़ल हुसैन (ध्रुपद)
- श्री हाजी इब्राहिम खत्री (बाघ प्रिंटिंग)
- स्वामी त्यागराज (हठ योग)
स्पिक मैके की पृष्ठभूमि
स्पिक मैके 48 वर्षों से युवाओं के बीच भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक गैर-लाभकारी संगठन है। इसके कार्यक्रमों में लोक कला, ध्यान, योग, सिनेमा स्क्रीनिंग, विरासत की यात्रा, प्रतिष्ठित व्यक्तियों के व्याख्यान और शिल्प कार्यशालाएं शामिल होती हैं। इसका उद्देश्य औपचारिक शिक्षा को भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गहराई से समृद्ध करना है।
भविष्य की पीढ़ी को समर्पित पहल
यह सम्मेलन भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और उसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का एक सराहनीय प्रयास है। यह आयोजन न केवल कला और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाएगा, बल्कि प्रतिभागियों को अनुशासन, प्रेरणा और सांस्कृतिक समझ से जोड़ने में सहायक होगा।