दसलक्षण पर्व का आज पांचवा दिन: उत्तम सत्य धर्म:
राजेश जैन, ‘दद्दू’
इंदौर/नादनी 12 सितंबर 2024 (न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126। आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने नांदणी मठ (महाराष्ट्र) में पर्वराज पर्युषण महापर्व के दौरान आयोजित “श्रावक संयम संस्कार शिविर” में अपने सम्बोधन में आज पांचवें दिन सत्य का महत्व बताते हुए कहा कि “सत्य धर्म है, सत्य सौन्दर्य है, सत्य श्रृंगार है, सत्य शिव है, सत्य सुन्दर है, सत्य मंगल है, सत्य उत्तम है, सत्य शरण है, सत्य व्रत है, सत्य महाव्रत है। सत्य सज्जनों का श्रृंगार है और यह कुलीन पुरुषों की कुल विद्या है। सत्य में शांति, आनंद, सुख और यश होता है। सत्य में उमंग और स्तुति होती है, और यह धर्म का मूल है।”
उन्होंने असत्य की निंदा करते हुए कहा कि “असत्य अनर्थकारी है, अधर्म है, विनाशकारी है, और यह दुःख-दाता होता है। असत्य अपयश का कारण बनता है और अविश्वास को जन्म देता है। असत्य कुलहीनों की पहचान है और पाप का कारण बनता है।”
इस शिविर में आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हुए कहा, “सत्य का जीवन जीने के लिए सत्य को जानना आवश्यक है। बिना सत्य को जाने जीवन में पूर्ण शांति प्राप्त नहीं हो सकती। असत्य, व्यक्ति को मायाचार और पाप में धकेलता है, जबकि सत्यवादी का हर जगह सम्मान होता है और वह सभी संकटों पर विजय प्राप्त कर लेता है।”
आचार्यश्री ने सत्य को संयमियों का मूलगुण बताते हुए कहा कि “सत्य का जीवन जीने के लिए सत्य को समझना और उसे अपनाना जरूरी है। जीवन में अशांति का प्रारंभ असत्य से ही होता है। असत्य से शुरू हुआ कार्य कभी सफल नहीं हो सकता।” उन्होंने जीवन में ढोंग और दिखावे को छोड़कर सत्य और सरलता से जीवन जीने का संदेश दिया।