राजेश जैन दद्दू इंदौर,
1 सितंबर 2024
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज के धर्म प्रभावना रथ के चौथे पड़ाव का शुभ आगमन रविवार को श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, संविद नगर, कनाडिया रोड पर हुआ। मंदिर प्रांगण में महिलाओं ने मंगल कलश लेकर और समाज के श्रावकों ने मुनि श्री का जयकारों के साथ स्वागत किया।
धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि मुनिश्री को शास्त्र भेंट व पाद प्रक्षालन का सौभाग्य सरला जैन, सुशीला जैन, राजकुमारी जैन मदावत परिवार को प्राप्त हुआ।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री ने कहा कि गृहस्थ व्यक्ति अपने जीवन में बच्चों को पढ़ाने, अच्छे जॉब और अच्छे परिवार में विवाह कराने के लिए निरंतर प्रयासरत रहता है। वह अपने बच्चों के लिए सुख-सुविधाओं की व्यवस्था करता है, जिससे उनका संसार सुखी हो। लेकिन यह जानते हुए भी कि संसार से एक दिन जाना है, वह अपने पैसों को सुरक्षित रखने के अलग-अलग उपाय करता है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब व्यक्ति अपने गृहस्थ जीवन के लिए भविष्य की सोच रखता है, तो धर्म के मामले में दूरदृष्टि क्यों नहीं होती? हम जिस धर्म में पैदा हुए हैं, उसके संस्कार और संस्कृति को कैसे सुरक्षित नहीं रख पाते? मुनिश्री ने कहा कि पूजा, अभिषेक, दर्शन निश्चित रूप से पुण्य का कारण होते हैं, लेकिन असल में बच्चे अपने माता-पिता से जो सीखते हैं, वही संस्कार उन्हें मिलते हैं।
मुनि श्री ने आगे कहा कि बच्चे अच्छे संस्कारों से ही अच्छे इंसान बनते हैं। ज्ञान से ज्यादा जरूरी संस्कार हैं, क्योंकि ये हमें सभ्यता और मानवता की ओर ले जाते हैं। बिना संस्कार के पूजा सिर्फ एक कर्मकांड बन जाती है। संस्कार हमारे अंदर से जोड़ते हैं, जबकि ज्ञान तोड़ने और जोड़ने का काम करता है।
इस अवसर पर मुनि श्री को विभिन्न क्षेत्रों से आए समाज जनों ने श्रीफल भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन महावीर जैन ने किया।