भारतीय ज्ञान परंपरा के पांच संदेश से युवा बन सकेगा राष्ट्र पुरुष
शिवाजी मोहिते, इंदौर
03 सितंबर 2024
युवा विचारक एवं चिंतक हरिदास यशवंत ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में दिए गए पांच संदेश को अपनाने से हमारे देश का युवा आने वाले समय का राष्ट्र पुरुष बन सकता है। उन्होंने बताया कि युवाओं को प्रश्न पूछने की आदत को कायम रखने के साथ उसे और विकसित करना होगा।
हरिदास यशवंत, अभ्यास मंडल द्वारा आयोजित 63वीं वार्षिक व्याख्यान माला में “भारतीय ज्ञान परंपरा का युवाओं को संदेश” विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत शब्द का अर्थ तेज के साथ रहना है, और यह तेज हमारी भूमि पर ग्रंथ, विद्या, कला, वेशभूषा, भाषा, परंपरा, और संस्कृति में समाहित है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जिस व्यक्ति के पास इस तेज का कोई भी अंश है, वह भारतीय है। भारत एक विचार है, जमीन का टुकड़ा नहीं।
हरिदास यशवंत ने कहा कि ज्ञान का अर्थ है वह जानकारी जो हमें एकात्मता की ओर ले जाती है। हमारे देश के युवाओं को किसी भी बात को सुनने, समझने और फिर उसे जीने की प्रवृत्ति विकसित करनी चाहिए। सीखने की प्रवृत्ति ही व्यक्ति को युवा बनाए रखती है, चाहे उसकी उम्र कितनी भी हो। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग समाज के लिए जीते हैं, वे ही सच्चे अर्थों में सफल होते हैं, जबकि खुद के लिए जीने वाले डिप्रेशन का शिकार होते हैं।
भारतीय ज्ञान परंपरा के पांच प्रमुख संदेश, जिन पर युवाओं को ध्यान देना चाहिए, इस प्रकार हैं:
- सुनो और समझो।
- खुद को समझो।
- समाज कल्याण का संकल्प लो।
- आपका संकल्प ही आपका भगवान है।
- अपने भगवान के लिए तपस्वी बनो।
हरिदास यशवंत ने कहा कि जब हमारे देश के युवा इन पांच संदेशों को अपने जीवन में आत्मसात कर लेंगे, तो वे राष्ट्र पुरुष बनकर तैयार होंगे। युवाओं को किसी का फॉलोअर नहीं बनना चाहिए, बल्कि उन्हें आदर्श बनकर सामने आना चाहिए।
इस कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत किशन सोमानी और ईशान श्रीवास्तव ने किया। अतिथि को स्मृति चिन्ह डॉ. शंकर लाल गर्ग ने भेंट किया, और अंत में आभार प्रदर्शन अजीत सिंह नारंग ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पल्लवी अढाव ने किया।
4 सितंबर का व्याख्यान
अभ्यास मंडल के हरेराम वाजपेई ने बताया कि 63वीं वार्षिक व्याख्यान माला में कल 4 सितंबर को पद्मश्री डॉ. विकास महात्मे अदृश्य स्वास्थ्य – समृद्ध जीवन विषय पर व्याख्यान देंगे।