इंदौर, 5 मई 2025
मध्य प्रदेश के इंदौर में एक अबोध बच्ची द्वारा संथारा लेकर देह त्यागने का मामला गरमा गया है। सिर्फ 3 साल 4 माह और 1 दिन की मासूम बच्ची को संथारा दिलाए जाने पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। इस संवेदनशील मामले को मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गंभीरता से लेते हुए संज्ञान में लिया है और इंदौर कलेक्टर से विस्तृत जवाब तलब किया है। मप्र बाल अधिकार आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि बच्ची के संथारा लेने के मामले को आयोग ने प्राथमिकता से लिया है और संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है।
क्या है मामला?
इंदौर निवासी दंपत्ति पीयूष जैन और वर्षा जैन की बेटी वियाना ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थी। उसका इलाज मुंबई के एक अस्पताल में चल रहा था, लेकिन लगातार बिगड़ती हालत के कारण डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी। बताया जा रहा है कि बच्ची के बचने की संभावना लगभग समाप्त हो चुकी थी।
ऐसे में 21 मार्च को माता-पिता अपनी बेटी को लेकर जैन संत राजेश मुनि के पास पहुंचे। संत ने बच्ची की नाजुक हालत देख कर कहा कि वह एक रात भी नहीं निकाल पाएगी और ऐसे में उसे जैन धर्म की परंपरा अनुसार संथारा दिलवाना चाहिए।
काफी मानसिक संघर्ष के बाद माता-पिता ने यह कठिन निर्णय लिया और बेटी को संथारा दिलाया। संथारा प्रक्रिया पूर्ण होने के मात्र 10 मिनट बाद ही वियाना ने अंतिम सांस ली।
उठ रहे हैं सवाल
इस पूरे घटनाक्रम पर समाज में दो तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। एक ओर कुछ लोग इसे जैन धर्म की आस्था और अंतिम इच्छा के रूप में देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या एक अबोध बच्ची को इस प्रकार धार्मिक परंपरा के तहत मृत्यु का मार्ग चुनने दिया जाना उचित है?
बाल अधिकार कार्यकर्ता इसे बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन मान रहे हैं और इस पर कानूनी जांच की मांग कर रहे हैं।
प्रशासन की अगली कार्रवाई पर नजर
फिलहाल बाल अधिकार आयोग की ओर से कलेक्टर से रिपोर्ट मांगे जाने के बाद अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या कोई कानूनी कार्रवाई होती है।