आधुनिक विकास, प्रकृति के लिए विनाश का दूत क्यों बना हुआ है ?
मालवा मिल पर बनाई मानव श्रंखला
इंदौर, 6 अक्टूबर 2024 (न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126। इंदौर में तीन दशकों से बंद पड़ी 6 मिलों में स्वत: ही या ये कहें प्रकृति ने वरदान देते हुए शहर के मध्य एक घना जंगल (सिटी फारेस्ट) विकसित कर दिया है। अब इस बेशकीमती जमीनों पर बने जंगल को शासकीय एजेंसियां काल बनकर उजाड़ना चाहती हैं। जिसकी कीमत नागरिकों को विकास की उस तस्वीर में दिखाई जा रही है, जिस कांक्रीट के जंगल ने शहर की साँसों के लिए तकलीफदायक परिस्थितियां निर्मित कर दी हैं और करती जा रही हैं। इसी प्रकृति निर्मित जंगल को बचाने आज इंदौर वासी मालवा मिल चौराहे पर एकजुट हुए और मानव श्रंखला बनाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया। पर्यावरण प्रेमी मंच के द्वारा शहर की बंद पड़ी मिलों में स्वत: विकसित जंगल को बचाने की अपील की गई।
यह हुए शामिल
जन आंदोलन में अलग अलग संगठनों के सौ से अधिक कार्यकर्ता शामिल हुए। पद्मश्री जनक पलटा, ओपी जोशी, एसएल गर्ग, डीके वाघेला, स्वप्निल व्यास, अभय जैन, श्याम सुंदर यादव, किशोर कोडवानी, अजय लागू समेत कई संगठन, संस्थाएं और सामाजिक कार्यकर्ता इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
मालवा मिल पर मानव श्रंखला बनाई
मालवा मिल चौराहे पर मानव श्रंखला बनाई गई। इसमें शहर के कई सामाजिक संगठन और प्रबुद्धजन शामिल हुए। शहर के नागरिक बैनर, पोस्टर के साथ मानव श्रंखला में आए। नागरिकों को पत्रक दिए गए और बताया गया कि किस तरह से इंदौर में असहनीय गर्मी होती जा रही है। शहर में भूजल स्तर कम हो रहा है और बारिश भी बेहद कम होने लगी है। इन सबके बावजूद सरकार और प्रशासन पेड़ों की कटाई रोकने के लिए बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता अभय जैन ने बताया,”हम महापौर, सांसद और शहर के कई जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को इसके लिए ज्ञापन दे चुके हैं। अब हम जन जागरण कर रहे हैं और जनता को इसके लिए इकट्ठा कर रहे हैं।”
इंदौर में घटती हरियाली… बढ़ती गर्मी…
- शहर की 34 लाख जनसंख्या में अभी सिर्फ दस लाख पेड़। वहीं 31 लाख पंजीकृत वाहन।
- पिछले पांच वर्षों में 1.5 लाख पेड़ कटे (आई.आई.टी. इंदौर)।
- 1970 की तीस प्रतिशत हरियाली… घटकर 9 प्रतिशत रह गई।
- 2019 के बाद लू (हीट वेव) के दिन 19 से बढ़कर 25 हो गई।
- इस गर्मी में 11 दिन, तापमान 40 डिग्री से ऊपर रहा तथा 23 मई को 44.5 डिग्री तक रहा।
- इंदौर की कुछ रातें राजस्थान के जयपुर एवं चुरु से अधिक गर्म रही।