इंदौर। जिला कलेक्टर कार्यालय में मंगलवार को आयोजित साप्ताहिक जनसुनवाई में आज भी कलेक्टर की गैरमौजूदगी देखने को मिली। कलेक्टर दोपहर 3 बजे के बाद ही कार्यालय पहुंचे। जनसुनवाई में पहले से पीड़ित लोग दोबारा गुहार लगाने पहुंचे, लेकिन समाधान न मिलने पर अब उनमें निराशा और आक्रोश दोनों दिखा।
माहेश्वरी स्कूल ने बिना नोटिस शिक्षकों को निकाला
आर. के. डागा माहेश्वरी एकेडमी, जो अब एमपी बोर्ड से सीबीएसई में कन्वर्ट हो चुकी है, ने दो दर्जन से अधिक शिक्षकों और स्टाफ को बिना किसी पूर्व सूचना के सेवा से बाहर कर दिया। शिक्षक शशि गोयल, रूपा रावत, प्रियंका यादव, सरोज मंत्री सहित अन्य ने बताया कि वे 15 से 20 वर्षों से सेवा दे रहे थे। अचानक निकाले जाने से जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है।
शिक्षकों को नहीं मिल रहा समय पर वेतन
जिले के जनपद शिक्षा केंद्रों में प्रतिनियुक्त बीएसी और सीएसी शिक्षकों को पिछले तीन वर्षों से समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। शिक्षकों ने बताया कि महीने की 15 तारीख के बाद वेतन मिलता है, जिससे ईएमआई, बच्चों की फीस, एनपीएस और अन्य खर्चे बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। कई बार कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ से गुहार लगाने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है।
नीट की परीक्षा पुनः कराने की मांग
करीब 25-30 नीट परीक्षार्थी जनसुनवाई में पहुंचे और परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए पुनः परीक्षा कराने की मांग की। परीक्षार्थियों ने बताया कि अगर सुनवाई नहीं हुई तो वे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे।
दिव्यांग को न्यूनतम वेतन से भी कम भुगतान
श्री काले ने शिकायत की कि उनके दिव्यांग पुत्र रविन्द्र काले, जो बाणगंगा शासकीय अस्पताल में कार्यरत हैं, को मात्र 5000 रुपये मासिक वेतन मिल रहा है। कई बार शिकायत करने और कलेक्टर द्वारा निर्देश देने के बावजूद वेतन वृद्धि नहीं की गई।
हाउसिंग बोर्ड से खरीदी जमीन पर बनी दुकान तोड़ी, आरोप भ्रष्टाचार के
सुखलिया निवासी गोपी किशन पटेल ने बताया कि 1992 में खरीदी गई हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर उनकी दुकान निगम ने 2023 में अवैध बताते हुए तोड़ दी। जबकि आसपास सैकड़ों दुकानें अब भी संचालित हैं। उन्होंने नगर निगम अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं और न्याय की मांग की है।
जनसुनवाई में एक बार फिर जनता की समस्याएं सामने आईं, लेकिन समाधान की उम्मीदें अभी भी अधूरी नजर आईं।