इंदौर, 29 अप्रैल 2025 — हर मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में होने वाली जनसुनवाई में इस बार कलेक्टर आशीष सिंह मुख्यमंत्री के प्रोटोकॉल में व्यस्त होने के कारण जनसुनवाई में मौजूद नहीं थे। उनकी अनुपस्थिति में जनसुनवाई में आवेदकों की संख्या कम रही, लेकिन जो भी आए, उनके मामलों ने प्रशासन की जमीनी हकीकत को उजागर कर दिया।
केस 1: मांगी बाई की पीड़ा – बेटे ने घर से निकाला, कोर्ट-कचहरी में भटक रहीं
75 वर्षीय मांगी बाई गोयल पिछले एक साल से जनसुनवाई के चक्कर काट रही हैं। पति के निधन के बाद दोनों बेटों ने उन्हें उनके ही घर से बेदखल कर दिया और संपत्ति पर कब्जा कर लिया। वे अब न घर की हैं न घाट की। मामला कोर्ट में लंबित है, बेटों ने मां के खिलाफ केस भी दायर किया है। कलेक्टर कार्यालय में एसडीएम निधि वर्मा के पास मामला चल रहा है लेकिन सुनवाई में सिर्फ तारीखें मिल रही हैं।
एसडीएम निधि वर्मा का कहना है: “मामला फरवरी में आया था। नोटिस भेजा गया है और दूसरी पार्टी को बयान देने के लिए बुलाया गया है। मामला कोर्ट में भी विचाराधीन है।”
केस 2: नैनो सिस्टम कंपनी पर ठगी का आरोप, युवाओं को दिखाए झूठे सपने
प्रशांत चौरसिया, अंकित परमार और अन्य युवाओं ने जनसुनवाई में आवेदन देकर बताया कि नैनो सिस्टम कंसलटिंग प्रा. लि. नाम की कंपनी ने 2017 में उनसे कोचिंग के नाम पर 1.30 लाख रुपये और चेक लिए थे। जॉब की गारंटी दी गई थी, लेकिन न तो नौकरी मिली, न पैसे लौटे। जब विरोध किया गया, तो कंपनी ने उनके ही चेक बाउंस होने पर कोर्ट में केस दायर कर दिया। पीड़ितों ने पुलिस व प्रशासन से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
केस 3: जमुना बाई को बेटे-बहू से प्रताड़ना, तहसीलदार की टालमटोल
75 वर्षीय जमुना बाई, निवासी तिल्लौर बुजुर्ग, कई बार जनसुनवाई में आ चुकी हैं। वे आरोप लगाती हैं कि बेटा और बहू उन्हें मारते-पीटते हैं और उनकी संपत्ति पर कब्जा किए बैठे हैं। तहसीलदार देवेंद्र कछावा ने उन्हें धारा 250 के तहत आवेदन और चालान जमा करने को कहा था, जो उन्होंने 15 अप्रैल को कर भी दिया। इसके बावजूद तहसीलदार कार्रवाई करने नहीं पहुंचे।
जब पत्रकार ने 29 अप्रैल को मामले की जानकारी चाही तो तहसीलदार ने पहले आवेदन न मिलने की बात कही, फिर पत्रकार के दस्तावेज दिखाने पर अपनी बात से मुकर गए। बाद में फोन पर उन्होंने बताया कि 1 मई की तारीख तय कर दी गई है और बुजुर्ग महिला को उपस्थित होना होगा।
निष्कर्ष:
जनसुनवाई व्यवस्था का उद्देश्य नागरिकों की समस्याओं का त्वरित समाधान है, लेकिन जब प्रशासनिक अधिकारी ही लापरवाही बरतें तो पीड़ितों को केवल तारीखें ही नसीब होती हैं। बुजुर्ग महिलाएं जहां अपनों से पीड़ित हैं, वहीं युवा ठगी के शिकार होकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह संवेदनशीलता दिखाते हुए मामलों का समय पर और न्यायसंगत निपटारा करे।