भू-माफिया, बेरोजगारी और अफसरशाही : इंदौर की जनसुनवाई में उभरे दर्दनाक सच

इंदौर, न्यूजO2। मंगलवार को इंदौर कलेक्टर कार्यालय में फिर वही मंजर देखने को मिला — बड़ी संख्या में फरियादी, हाथ में दस्तावेजों का पुलिंदा, और उम्मीद भरी निगाहें। लेकिन निराशा उन्हें आज भी हाथ लगी। कलेक्टर आशीष सिंह इस जनसुनवाई से भी नदारद रहे। उनकी जगह अपर कलेक्टर रिंकेश वैश्य ने कुछ मामलों को सुना, वहीं बाकी अधिकारियों ने अपने-अपने कक्ष में ही जनता की गुहार सुनी। इनमें अधिकांश मामले अवैध कब्जे, अनुकंपा नियुक्ति और वेतन भुगतान से जुड़े थे। कई लोग तो पिछले कई सालों से फाइलें लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।


अनुकंपा नियुक्ति के लिए 4 साल से दौड़

कुन्दन साँवनेर, जो अपने चचेरे भाई अंतिम साँवनेर महू के साथ आए थे, ने बताया कि उनके पिता सखाराम साँवनेर की 2021 में मृत्यु के बाद से ही वे अनुकंपा नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं। भोपाल से सितंबर 2024 में ही जिला पंचायत सीईओ को नियुक्ति हेतु पत्र भी गया था। सभी पात्रता दस्तावेज़ सत्यापित हो चुके हैं, लेकिन जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन सिर्फ इतना कहकर बात टाल देते हैं — “प्रक्रिया चल रही है।” कब तक पूरी होगी, इसका कोई जवाब नहीं। इस मामले के लिए जब सीईओ सिद्धार्थ जैन को फोन लगाया तो उनका नंबर बंद मिला और उनके दफ्तर पहुँचने पर वे दफ्तर से जा चुके थे।


वन समिति की जमीन पर भू-माफिया काबिज

बड़गोदा ग्राम वन समिति तिंछा के अध्यक्ष राधाकिशन ने बताया कि उनके कक्ष क्रमांक 69 में करीब 35-40 हेक्टेयर जमीन पर भू-माफियाओं ने फर्जी दस्तावेज़ और राजनीतिक दबाव के बल पर कब्जा कर लिया है। वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार आवेदन दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कलेक्टर से इस अवैध कब्जे को तत्काल हटवाने की मांग की है।


दो साल से वेतन के लिए भटक रही महिला कर्मचारी

ग्राम पंचायत रंगवासा से आई नम्रता अकोदिया, जो पंचायत में राजस्व वसूली कर्मचारी हैं, पिछले दो साल से वेतन न मिलने से परेशान हैं। उन्होंने अपने आवेदन में सरपंच ममतेश प्रवीण चौहान, उनके पति प्रवीण चौहान और जीतू चौहान पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। मामले में कलेक्टर ने सीईओ जिला पंचायत को जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।


15 साल से निगम की दीवार पर लटकी सुनवाई

परदेसीपुरा ज़ोन 5 वार्ड 23 निवासी सुंदरलाल अहिरवार पिछले 15 साल से नगर निगम द्वारा उनके प्लॉट पर बनाई गई दीवार से परेशान हैं। उनका कहना है कि उनके प्लॉट पर निगम ने एक दीवार बना रखी है, जिसे हटवाने वे कई सालों से निगम, कलेक्टर कार्यालय, पुलिस कार्यालय सब जगह भटक रहे हैं। कलेक्टर कार्यालय द्वारा कई बार निगम आयुक्त को लिखित निर्देश भी हो चुके हैं। महापौर भी व्यक्तिगत रूप से आश्वस्त कर चुके हैं, स्थानीय विधायक रमेश मेन्दोला तक ने निगम से पत्राचार किया है, बावजूद निगम अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। अहिरवार ने कहा कि वे भाजपा समर्थक हैं, फिर भी उन्हें भाजपा शासन में न्याय नहीं मिल रहा है।

नगर निगम ज़ोनल अधिकारी आशीष राठौर ने न्यूजओ2 प्रतिनिधि द्वारा पूछे जाने पर कहा — “सुंदरलाल के पास स्वामित्व के पूरे दस्तावेज़ नहीं हैं।” वहीं अहिरवार का दावा है कि सारे कागजात जमा हैं, फिर भी निगम सुनवाई नहीं कर रहा। जनसुनवाई में वरिष्ठ अधिकारियों ने ज़ोन 5 बिल्डिंग ऑफिसर को मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

बिजली की लाइन से हादसे का डर

खाती पिपल्या निवासी कैलाश चौहान ने शिकायत की कि उनके मकान के ऊपर से 33 केवी और साइड से 11 केवी की बिजली लाइन गुजर रही है, जिससे भविष्य में बड़ा हादसा हो सकता है। उन्होंने बिजली लाइन हटाने की मांग की।

चिट फंड में 25 लाख की ठगी

वहीं रानीपुरा निवासी विजय दीवान ने बताया कि नरेश पिपले नामक व्यक्ति ने वीसी के जरिए चिट फंड में 25 लाख से अधिक की ठगी की। यह रकम उन्होंने ब्याज पर ली थी। अब उधारदाता धमका रहे हैं। नरेश पिपले पर पहले से ही कई आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं।

बाणगंगा थाना क्षेत्र में 13 जून को कार (एमपी 09 टीबी 5484) सवार युवकों ने साइड मांगने पर नीलम तायत, उसके भाई और छोटी बहन पर डंडों से हमला कर दिया। नीलम को 13 टांके आए हैं और एक आंख भी खराब हो गई। पीड़िता का आरोप है कि पुलिस ने कमजोर धाराओं में एफआईआर दर्ज की और अब तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है। 

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