इंदौर, न्यूजओ2, 15 जुलाई 2025 (7724038126): डिजिटल युग में ऑनलाइन फूड डिलीवरी और लॉजिस्टिक्स ने हमारे जीवन को भले ही आसान बना दिया हो, लेकिन इसके पीछे पसीना बहाने वाले राइडर्स की मुश्किलें कम नहीं हैं। इंदौर जैसे बड़े शहरों में भी ये राइडर्स घंटों सड़कों पर दौड़ते हैं, ताकि वक्त पर ऑर्डर पहुँचा सकें। बावजूद इसके, कंपनियों द्वारा प्रति किलोमीटर दर में की गई कटौती, बीमा और सुरक्षा का अभाव, तथा काम न करने पर आईडी बंद कर देने की कार्यशैली ने इनकी रोज़ी-रोटी पर गहरा असर डाला है। इन्हीं समस्याओं को लेकर ज़ोमेटो और पोर्टर के कई राइडर्स आज इंदौर कलेक्टर कार्यालय पहुँच गए और अपने हक़ के लिए आवाज़ बुलंद की।

राइडर गोवर्धन पोरवाल ने बताया कि पहले उन्हें 10 रुपये प्रति किलोमीटर तक का भुगतान मिलता था, लेकिन अब यह घटकर महज 4-5 रुपये प्रति किलोमीटर रह गया है। “पहले हफ्ते में 8-9 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती थी, लेकिन अब 1500 रुपये भी मुश्किल से बनते हैं,” उन्होंने बताया।

राइडर्स का आरोप है कि कंपनियां न तो किसी प्रकार का बीमा देती हैं और न ही सुरक्षा इंतजाम। हाल ही में इंदौर में एक फूड डिलीवरी राइडर की हत्या हो चुकी है, लेकिन उसके परिवार को किसी प्रकार की सहायता नहीं दी गई।

उन्होंने यह भी बताया कि जब राइडर्स ने हड़ताल कर अपनी आवाज़ उठाने की कोशिश की, तो कई कर्मचारियों की ऑर्डर बुकिंग आईडी बंद कर दी गई।

फूड डिलीवरी के बढ़ते चार्ज पर भी राइडर्स ने सवाल उठाए। उनका कहना है कि ऑनलाइन फूड ऐप पहले रेस्टोरेंट से 25 प्रतिशत कमीशन लेते थे, जो अब बढ़कर 35 प्रतिशत तक हो गया है। वहीं, ग्राहक से प्रति ऑर्डर 60-70 रुपये लिए जाते हैं, जबकि राइडर को महज 30 रुपये ही दिए जाते हैं। राइडर्स ने प्रशासन से जल्द हस्तक्षेप कर कंपनियों पर कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि उन्हें न्याय मिल सके।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *