इंदौर की हृदयस्थली राजवाड़ा पर मानव श्रंखला बनाकर दिया पर्यावरण बचाने का संदेश

बच्चे, छात्र, सामाजिक संगठन कर रहे अपील- साँसों के लिए पेड़ों को बचाएं

इंदौर, 5 जून 2024

कोरोना काल ने ऑक्सीज़न का महत्व अच्छे से इंसान को सिखा दिया है। इसके बावजूद भी इंदौर में हरे भरे वृक्षों को विकास के नाम पर कुल्हाड़ी चलाकर उन्हें काटा जा रहा है। ऐसे में इंदौर के सामाजिक संगठन, बच्चे, छात्र और आम जन आगे आए हैं। पेड़ों को काटने से बचाने की मुहिम चलाई जा रही है। इसी क्रम में आज इंदौर की हृदय स्थली राजबाड़ा पर मानव श्रंखला बनाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया गया ।

सभी लोग हाथों में कपड़े के बैनर लिए थे जिसमें पर्यावरण बचाने, पेड़ों को नहीं काटने के संदेश लिखे हुए थे। स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा दिव्या अपने हाथों में एक स्केच पेंटिंग लिए हुए हैं जो ग्लोबल वार्मिंग, बढ़ते तापमान के बारे में जानकारी दे रही हैं। इसी तरह इनवायरमेंट इंजीनियरिंग में प्रवेश की तैयारी कर रहे छात्र निखिल व्यास बताते हैं कि पढ़ाई के साथ साथ वे पर्यावरण बचाने की मुहिम से जुड़ जाते हैं साथ ही अपने दोस्तों को भी इंदौर में चल रहे पेड़ बचाओ आंदोलन में सहभागिता करने ले आते हैं।

तख्तियों पर ये लिखे हैं स्लोगन –

अवसर : पर्यावरण दिवस, स्थान : राजबाड़ा, दिन : बुधवार, समय : शाम 6 बजे से 8 बजे तक

पीले कपड़े के स्लोगन लिखे बैनरों/तख्तियों को सभी अपने हाथों में लिए हैं और नारे लगा रहे हैं। इन स्लोगनों के नारे लगाए-

एक घना वृक्ष एक साल में 74500 रु मूल्य की ऑक्सीजन देता है

अभियान में शामिल जनहित पार्टी के अभय जैन ने बताया कि एमओजी लाइन और हुकुमचंद मिल के हजारों हरे भरे पेड़ विकास के नाम पर काटने के विरोध में यह जन जागरण और हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि एक घना वृक्ष एक साल में 74500 रु मूल्य की ऑक्सीजन देता है। अभी आईआईटी इंदौर की एक स्टडी के अनुसार इंदौर में 5 साल में करीब डेढ़ लाख वृक्ष विकास के नाम पर काटे गए। शहर में हरियाली का कवर 30% से अधिक होना चाहिए जो वर्तमान में इंदौर में 9% तक रह गया है। जनहित पार्टी की मांग है कि एमओजी लाइन और कपड़ा मिलों सहित सभी शहर के ऐसे स्थान संरक्षित वन के रूप में घोषित हो जहां किसी भी प्रकार का कंस्ट्रक्शन ना हो। जैन ने सरकार से मांग रखी है कि शासकीय जमीन निजी कंपनियों को बैंचने पर विचार करें और पर्यावरण की रक्षा के साथ विकास हो। विकास के नाम पर पेड़ों की बलि न ली जाये। देखें वीडियोhttps://www.facebook.com/watch?v=1485137899058601