इंदौर, 14 नवंबर 2024 (न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: मध्य प्रदेश की स्मार्ट सिटी के नाम से ख्यात इंदौर में अवैध निर्माणों को लेकर एक तरफ जिम्मेदार नगर निगम की लचर कार्यशैली उजागर हुई है तो वहीं इन मामलों की शिकायत मिलने पर लोकायुक्त पुलिस सख्त नजर आ रही है। बीते दो दिनों में 33 से अधिक अधिकारियों पर मामले दर्ज किए जाने की जानकारी सामने आई है । हालांकि ये मामले कब दर्ज हुए, किन धाराओं में दर्ज हुए, इसको लेकर लोकायुक्त ने कोई जानकारी खबर लिखे जाने तक साझा नहीं की है। शिकायतकर्ता और पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने गुरुवार को फिर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दावा किया है कि आईएएस अधिकारी सिद्धार्थ जैन के बाद राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संदीप सोनी के खिलाफ भी लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज कर लिया है।

प्रकरण 1: आरोप है कि लसुड़िया मोरी में SK-1 कम्पाउंड पर सर्वे नंबर 67/2/3  पर बिना अनुमति के अवैध केमको चीव फूड्स फैक्ट्री और एक अन्य अवैध गोदाम निर्माण पर निगम अधिकारियों ने केवल सूचना पत्र भेजकर शिकायत बंद कर दी, कार्रवाई नहीं की और दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाए।

प्रकरण 2: शिकायत के अनुसार इंदौर विकास प्राधिकरण के योजना क्रमांक 59 में भूखंड क्रमांक 4 पर मेघानी परिवार ने स्वीकृति से तीन गुना अधिक व्यवसायिक निर्माण कर बिना अनुमति अधिभोग प्रारंभ किया। आरोप है कि शिकायतों के बावजूद निगम ने कार्रवाई नहीं की और गलत तरीके से हो रहे व्यवसायिक उपयोग को बंद नहीं कराया।

प्रकरण 3: ज़ोन क्रमांक 12 में सिंधु नगर के भूखंड क्रमांक 2 एवं 3 पर कटारिया और मेघानी द्वारा आवासीय अनुमति पर बनाई गई कमर्शियल मंजिलों पर अपर आयुक्त संदीप सोनी ने उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद अंतिम सूचना पत्र जारी किया, परंतु कार्रवाई के बजाय फाइल को विभागीय नोटशीट पर रोका गया।

ये अधिकारी आए लोकायुक्त के राडार पर

तत्कालीन अपर आयुक्त संदीप सोनी, तत्कालीन अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन, तत्कालीन भवन अधिकारी ओम प्रकाश गोयल (सेवा निर्वत्त), तत्कालीन भवन अधिकारी विवेश कुमार जैन, भवन अधिकारी असित खरे और अश्विन जनवदे, परसराम आरोलिया,तत्कालीन क्लर्क और रिकॉर्ड संधारणकर्ता महेश शर्मा और अंकुर गोयल, तत्कालीन भवन अधिकारी- ज़ोन 12 पीएस कुशवाह, भवन अधिकारी राहुल सूर्यवंशी, तत्कालीन भवन निरीक्षक पंकज शर्मा, राकेश शर्मा, नादिम खान, राजेश सिंह चौहान, अजय करारे, आनंद रैदास, तत्कालीन दरोगा दिनेश तलनीकर।

इनके खिलाफ भी लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज

आर्किटेक्ट नवीन वाधवानी, आर्किटेक्ट रोहित दिनकर, विक्की खत्री, गुरमुखदास छाबरिया, दीपा छाबरिया, आर्किटेक्ट लाइसेन्स पुनीत उपाध्याय, आर्किटेक्ट प्रतीक रुनवाल, लोकचंद मेघनी, मीरा मेघनी, ज्योति मेघनी, आर्किटेक्ट लाइसेंस संकल्प गंगवाल, राजेंद्र ओचानी, जय कुमार ओचानी ।

आईएएस अधिकारी ने किया बचाव

न्यूजओ 2 ने इस मामले में जब आईएएस अधिकारी और जांच के दायरे में आए तत्कालीन इंदौर नगर निगम अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन से बात की तो उन्होने अपना बचाव करते हुए कहा, ” मेरी इंदौर नगर निगम में अपर आयुक्त के रूप में अक्टूबर 2022 में नियुक्ति हुई थी। शिकायत में जिन भवनों का जिक्र किया गया है, वे एक दशक से अधिक प्राचीन हैं। मेरी नियुक्ति से पहले का मामला है। मुझे इस मामले में बहुत कुछ नहीं पता है न ही मुझे लोकायुक्त से कोई नोटिस मिला है।

आखिर अधिकारी अवैध निर्माणों पर क्यों कार्यवाही से बचते हैं ?

वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र सिंह यादव बताते हैं कि दरअसल अवैध निर्माण करने वाले आम तौर पर राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त होते हैं। नगर निगम के स्थानीय जिम्मेदार ऐसे निर्माणों की शुरुआत में ही यदि इन पर कार्यवाही करने का मन बना लें, तब इन्हें पनपने के पहले ही रोका जा सकता है लेकिन स्थानीय जिम्मेदार और निगरानीकर्ता कभी दबाव-प्रभाव के चलते तो कभी अनैतिक लाभ कमाकर इन अवैध निर्माणों को अनदेखा कर देते हैं। यादव दावा करते हैं कि पिछले चार-पाँच सालों में ही निगम के जिम्मेदार ऐसे अवैध निर्माणकर्ताओं को 15 हजार से ज्यादा नोटिस जारी कर चुके हैं। समय-समय पर ये बात भी सामने आती रही है कि नोटिस जारी करके अवैध निर्माणकर्ताओं से अवैध वसूली की जाती है। कार्यवाही के नाम पर केवल 2-4 कार्यवाही दिखाकर जिम्मेदार अपने कर्तव्यों से इति श्री कर लेते हैं। हाल ही में सामने आए लोकायुक्त के मामलों से साफ है कि स्वत: संज्ञान लेने के बजाय शिकायतों को ही डस्टबिन में डाल दिया जाता है। निगम के अधिकारी केवल सत्ता पक्ष के इशारे पर ही कानून का दुरुपयोग करने निकल जाते हैं। यादव ने दावा किया कि केवल मप्र का ही नहीं बल्कि देश के सबसे बड़े अवैध निर्माणों के हब के रूप में इंदौर का नाम कुख्यात होता जा रहा है।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।